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________________ गामा : ११४५-११४६ ] चउस्यो महाहियारो [ ३३७ विमल-जिनेन्द्र के सात गणोंको संख्याएकक - सएपहिये, एषक - सहस्सं हर्षति पुस्बपरा । अनुत्तीस सहरमामा-सम-साविना साल ! । पुष्व ११०० । सि ३८५७० । अडवाल - सयं ओही, केवलिलो पण - सएग बुपाणि । पन - संस - सहस्साणि, वेगुल्यो गव सहम्साणि ॥११४६।। मो ४८०० । के ५५०० । वि ६०००। पंच - सहस्साणि पुर्व, जुत्ताण पण-सएहि विउलमवी। तिणि सहस्सा इस्मय - साहिबा बाबी बिमलवे ॥११४७।। __दि ५५०० 1 वा ३६००। म :-विमलनाप तीर्थकरके सात गणोंमेंसे पूर्वधर एक हजार एक सो, षिक्षकमरण भरतीस हजार पाँच सो, भवधिज्ञानी चार हजार माठसो, केवली पांच हजार पाँच सौ, वित्र्यिाऋडिके धारी नो हार, विपुसमति पार हजार पाँच सौ और बादी तीन हजार छहसो घे॥११४५-११४७॥ अनन्तनाथके सात गणोंका प्रमाणएकं व सहस्सा, पुस्वपरा सिमलगा य पंच-सया । उमदास सहस्सागि, ओही तेवाल - सय - संक्षा ११४|| पु.१००० । सि ३६५०० । यो ४३०० । पंचपन - सहस्सा, केवलि-गुरिष-विरसमरि-तिदए । तिणि सहसा के • सय आणि वादी प्रणंत - जिम ॥११४६।। के ५...। ... । वि ५००० १ था ३२० । प्रबं:-अनन्तमाप जिनेमके सात गणोंमेंसे पूर्वधर एक हजार, शिक्षक उनतालीस हजार पांच सौ, अवधिमानी घार हजार तीन सौ. केक्सी पांच हजार, विक्रिया ऋरिधारी पाठ हजार, विपुलमति पांच हजार और वादी तीन हजार यो सो घे ॥११४८-११४६।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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