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________________ ३३६ ] तिलोयपमणसी [ मापा : ११४०-११४ -सहस्साह ओही, केसिनो बस्सहस्स-पंच-सया । एक्कारस मेतागि, हॉति सहभागि बेगुनी ARYA जो : ____ओ ६००० 1 के ६५०० । ये ११०००। दे स्व-साडिवाई, तिणि सहस्साइ तह प विसलमवी। पण - गुणिन • सहस्साइ', वापी सेयंस - देवम्मि ॥१९४१॥ वि... । वा ५०००। म:-थेयांसजिनेन्द्र के सात गणोंमेंसे पूर्वघर एक हजार तीनसो, शिक्षक अड़तालीस हजार दो सो अवधिज्ञानी छह हजार, केवली छह हजार पायसी, विक्रिया-ऋविधारी ग्यारह हजार, विपुलमति दोस गुणित तोन ( ख ) हार तथा वादो पांच हजार ये ॥११३९-११४१।। वासुपूज्यदेवके सात गणोंका प्रमाणएक बेष सहस्सा, संजुत्ता दो-सएहि पुष्वधरा । रणदाल-सहस्साणि, बोणि सयाणि पि सिक्लगमा ।।११४२।। पु १२०० सि ३१२०० । पंच-सहस्सा बळ-साय-अत्ता ओही हवंति केलियो । छन्वेष महत्साणि, वेगुब्बी बस सहस्साई ।।११४३॥ ओ ५४०० के १००० 12 १००००1 धन्धेव सहस्साणि, बत्तारि सहस्सया यदु-सम-जुवा'। विजलमयी वादीओ, कमसो सिरि • वासुपुञ्ज - जिमे ।।११४॥ वि ६००० । वा ४२०० । :-श्री वासुपूज्य जिनेन्द्र के सात गणों से पूर्वधर एक हजार दो सो, शिक्षकगण उनतालीस हजार दो सो, अवधिज्ञानी पाँच हजार चार सौ, केवसी १४३ हजार, विकिया-वृद्धिधारी दस हयार, विपुलमति छह हजार और वादी पार हजार दो सो ये ॥१४२-११४४।।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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