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तिलोत्त
[ गाथा ११२१-११२४
बीस-सहस्सा पणाहिए छक्सयाणि विउमदी । चेय सहस्सा, बादी अभिनंदणे वेवे ।। ११२१३।
एक्क
1 वि २१६५० | वा १००० |
:- अभिनन्दन जिनेन्द्रके सात गणों में से पूर्वघर दो हजार पाँच सौ. शिक्षक दो लाख तीस हजार पचास, श्रवधिज्ञों का हजार आहे ती केवनी दुनिआ (सोलह हजार, विक्रियाऋद्धिधारक एक कम बीस ( उनोस ) हजार, विपुलमति इक्कीस हजार छहसौ पचास और वादो केवल एक हजार ही थे ।।१११६-११२१ ।।
सुमतिनाथ के गरणोंकी संख्या-
दोणि सहस्सा उ-सय, जुत्ता सुपदि व्यनुम्मि पुरुष घरा । अढाइज्जं लक्खा, सेवाल - सथाइ सिक्खगा पन्ना ॥। ११२२ ।।
पुब्ब २४०० । सि २५४३५० ।
एमकरस-वेरसाई, कमे' सहस्साणि ओहि के सिणो । रस सहरसाई, खत्तरि समाणि वेगुल्वी ॥। ११२३ ।।
ओ ११००० के १३००० | वे १८४०s
विलभदीय सहस्सा, वस संखा उसएहि संजुत्ता | पण्णास जुद-सहस्सा, दस उ-सब अहिय वादिगणा ।।११२४ ।।
। वि १०४०० । वा १०४५० ।
१. ब. फ. कमेण ।
:- सुमतिजिनेन्द्र के सात गणों में से पूर्वघर दो हजार चार सो, शिक्षक दो लाख चौबनहजार तीन सौ पचास अवधिज्ञानी ग्यारह हजार, केवली तेरह हजार, विक्रिया- ऋद्धि धारक एक लाख चौरासी हजार विपुलमति दस हजार घार सो और वादी दस हजार चार सौ पचास ये ।।११२२- ११२४।