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________________ ३३२ ] तिलोत्त [ गाथा ११२१-११२४ बीस-सहस्सा पणाहिए छक्सयाणि विउमदी । चेय सहस्सा, बादी अभिनंदणे वेवे ।। ११२१३। एक्क 1 वि २१६५० | वा १००० | :- अभिनन्दन जिनेन्द्रके सात गणों में से पूर्वघर दो हजार पाँच सौ. शिक्षक दो लाख तीस हजार पचास, श्रवधिज्ञों का हजार आहे ती केवनी दुनिआ (सोलह हजार, विक्रियाऋद्धिधारक एक कम बीस ( उनोस ) हजार, विपुलमति इक्कीस हजार छहसौ पचास और वादो केवल एक हजार ही थे ।।१११६-११२१ ।। सुमतिनाथ के गरणोंकी संख्या- दोणि सहस्सा उ-सय, जुत्ता सुपदि व्यनुम्मि पुरुष घरा । अढाइज्जं लक्खा, सेवाल - सथाइ सिक्खगा पन्ना ॥। ११२२ ।। पुब्ब २४०० । सि २५४३५० । एमकरस-वेरसाई, कमे' सहस्साणि ओहि के सिणो । रस सहरसाई, खत्तरि समाणि वेगुल्वी ॥। ११२३ ।। ओ ११००० के १३००० | वे १८४०s विलभदीय सहस्सा, वस संखा उसएहि संजुत्ता | पण्णास जुद-सहस्सा, दस उ-सब अहिय वादिगणा ।।११२४ ।। । वि १०४०० । वा १०४५० । १. ब. फ. कमेण । :- सुमतिजिनेन्द्र के सात गणों में से पूर्वघर दो हजार चार सो, शिक्षक दो लाख चौबनहजार तीन सौ पचास अवधिज्ञानी ग्यारह हजार, केवली तेरह हजार, विक्रिया- ऋद्धि धारक एक लाख चौरासी हजार विपुलमति दस हजार घार सो और वादी दस हजार चार सौ पचास ये ।।११२२- ११२४।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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