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गाया : १११६-११२० ]
त्यो महाहियारो
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अर्थ :- भजितप्रकेसरत गणोंमेंसे पूर्ववर दोन हजार सातसो पचास, शिक्षक इक्कीस हजार छह सौ प्रवधिज्ञानी नौ हजार चारसो, केबली बीस हजार, विक्रिया ऋद्धि धारक बीस हजार चारख, विपुलमति बारह हजार चारसौ पचास जोर वादी बारह हजार चारखी थे ।। १११३ - १११५।। सम्भवनाथ गरौंकी संख्या
पुष्यवरा पण्णाहिय-इमिवीस-सयाणि संभव-जिर्णाम्म ।
जतीस सहल्सा, इगिलवं सिखगा ति - सया ।। १११६ ॥
२१५० | सि १२३३०० ।
छवि-सा जोही, केवलियो पारस सहस्ताखि ।
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चरबीस सहस्साई वेपुब्विय असयाणि वि ।। १११७।। - आर्य श्री सुविधा की खटा श्रो ६६०० केवल १५००० । वे ९६८००
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होति सहस्सा बारस, पण्णाहियमिगि-सयं च विलमवी ।
क्य गुमिवाणि योनि सहस्साणि वादि गणा ।।१११८ ।।
| दि १२१५० | वादि १२००० ।
:- सम्भवजिनेन्द्रके सात गणोंमेंसे पूर्वघर दो हजार एक सौ पचास, शिक्षक एक लाख उनतीस हजार तीन सो अवधिज्ञानी तो हजार छह सी, केवल पन्द्रह हजार, विक्रियाऋद्धि धारक उन्नीस हजार आठली, विसमत वारह हजार एकसी पचास मौर वादि-गण बहते गुणित दो हजार अर्थात् बारह हजार ये ।।१११६-१११८।।
अभिनन्दननायके गणोंकी संख्या
पंचसय महियाई दोणि सहस्साइ होंति पुश्वधरा । दो सिखगलक्खाई, सोस- सहस्साइ
| पु २५०० सि २३००५० ।
सिया ओही केबलिणो विगुण-ग्रह-सहस्साणि ।
येष्वि सहस्सा
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पण्णासा ।।१११६ ॥
बहंति एक्कून बीसाणि ।। ११२० ॥
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। श्र ६८०० के १६००० से १६०००।