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तिसोयपमासी
[गाथा : ६६२-६७२ मार-मास-समहियार्म, अगत्तरि बस्सरानि पासबिने। पोरपि तीस पासा, केबलिकालस्स संघ लि IICE
• पारा वास १८ मा ८ । दोर यास ३० । स-पार्वजिनेन्द्र के केवलिकाल का प्रमाण आठ मास अधिक उनसर वर्ष और पीर जिनेन्द्रका तीस वर्ष है 1॥१६॥
प्रत्येक तोर्यकरके गणधरोंको संख्या
परमसवी से - पपरी, गणहरवा हट्ट • परियं ॥६७०॥
। उ
म ६०, सं १०५,
१०३, सु ११६. प. १११.सु ९५, पं.६३ ।
पर्य :-पाठवें तीर्थकर पर्यन्त क्रमश: चौरासी, नम्बे, एकसौ पांच, एकसो तीन, एकसो सोलह, एकसो ग्यारह पंचानबे और तेरानवे गणधर देव थे ।।१७।।
अहसीदी सगसीवी, सत्तार कक - सहिया सट्ठी । पनवण्णा पासा, तसो म अनंत - परियंतं ॥११॥
1 पु८८. सी ८७, से ७७, वासु ६६, वि ५५ अणं ५० ।
:--अमन्सनाय सीपंकर पर्यन्त क्रमप: प्रयासो, सतासी, सततर, शासठ, परसन और पचास गणपर थे ।।१।।
तेषालं छत्तोसा, पणतीता तोस अनीसा ।
अट्ठारस ससरसेककारस - कार - एककरत घ औरत ॥७२॥ घ० ४३, संति ३१. कुयु ३५, अर ३०. म. २८, मु १८, ए १५, णे ११, पा १०, वीर ११ ॥
प:-धर्मनायसे बोर जिनेन्द्र पर्यन्त क्रमशः तैतालीस, छत्तीरू पैतीस, तोस, अट्ठाईस, अठारह. सत्तरह, ग्यारह, दस और ग्यारह परधर थे ||६७२।।