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________________ २६० ] तिसोक्पाती उबर समहिय अडवीतवि- पुज्यंग रहिन पुरुयानं । एक्के लक्ख केवलिकाल मार्ग च पुष्कवंत जिने ॥६६० ॥ श्र · गया है ।। ९६१ ।। पुष्फ पू० १५ ॥ रि–पूथान ३ = - TH वर्ष :- पुष्पदन्त जिनेन्द्रका केवलिकाल चार वर्ष और बट्टाईस-पूर्वाङ्गकम एक लाख पूर्व प्रमाण है ।। ९६० ।। - संबस्सर-तिव ऊणिय पणवीस सहस्तयाणि पुष्याणि । सीयलजिनम्मि कहिवं. केवलिकालस्स परिमाणं ।। ६६१ ॥ सीयल पुय्व० २५००० | रिलबास ३ 11 :- शोस जिनेन्द्रके केवलिकालका प्रमारम तीन वर्ष कम पच्चीस हजार पूर्व कहा · गिबस बस सक्खर दोहि बिहोगा चडवण-वास-लक्सं ऊनं एक्केण - [ गाथा: ९६०-६६४ ।। सेयंस बस्स २०६६६९८ ।। वासुपूज्य वस्त ५३९१६१६ ।। :--- श्रेयांस जिनेन्द्रका केवलिकाल दो ( वर्ष ) कम इक्कीस लाख वर्ष और वासुपूज्य जिनेन्द्रका एक कम चौवन लाख वर्ष प्रमाण है ।।१६२ || ९. इ.ब. स. प. उ. पुरुष । पहूम्म सेयं बासुमुक्ा जिने ॥१६६२ ।। पण रस-बास-लक्ला, तिवय-विहीना व विमलन हस्मि । सम-कवि-ह- पण शरिवासा दो बिरहिया अनंत जिने ॥ ६६३ || जिनेन्द्रका सोके बगंले गुपित पचहत्तरमेंसे दो कम है । ६६३ ।। ।। बिमस* वस्स १४६६६६७ । प्रत खास ७४९६६८ ॥ :- विमल जिनेन्द्रका केवलिकाल तीन कम पन्द्रह लाख वर्ष और अनन्तनाय - पंचसयार्थ दणो, ऊयो एक्केन बम्मणामि । बस-वन व पशुवीसा, सोलस होना पसंती ॥६६४३॥ . || धम्म वस्तु २४६६६६ । संति २४९६४ ॥ २. ब. त. विमल पुम्ब, प. म. प. विमम
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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