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________________ २७४ ] तिलोत गन्धकुटीका निरूपण -- एक्केका 'उडी, होदि तदो तरिय पौड-रस्मि । चामर - efensio - वर्णमाला - हारादि- रमणा ॥६॥ सी गोसोस'- मसम चंदरण-कालागढ़-पट्टदि व-गंडा | पजत रयण - दीवा मभ्यंत विचित पय-पंती ||८६७ - - ● :- इसके आगे इन तीसरी पीठिकाओं के ऊपर एक-एक गन्धकुटी होती है। यह गन्धकुटी चामर किकिरणी, वन्दनमाला एवं हारादिकसे रमणीय गोणीर मतयचन्दन और कालागरु इत्यादिक धूपोंको गन्धसे व्याप्त, प्रज्वलित रत्नदीपकोंसे युक्त तथा नाचती हुई विचित्र ध्वजाओंकी पंक्तियोंसे संयुक्त होती है ।।८६६-६७।। - तोए हंडायामा सय बंडापि उत्सहनाहम्मि । पण कवि परिहाणि कमलो सिरि-मि-परियंतं ॥६८॥ - [ गाएा: ८३६-६०० पणुवीसम्महिय सयं बोहि वितं च पासणाहम्मि । विगुनिय - पशुवीसाई, तित्थवरे मामम्मि ||६६६ ॥ ६०० । ५७५ ५५० ५२५ २०० ४७५ ४० ४२५ ४०० ३७५ । ३५० । ३२५ । ३०० | २७५ | २५० | २२५ । २०० । १७५ । १५० । १२५ । १०० । 14 ७५ १३५ । ५० । : - उस गन्धकुटीकी चौड़ाई और लम्बाई ऋषभनाथके समवसरण में बहसो धनुष प्रसारण थी । पश्चात् नेमिनाथ पर्यन्त क्रमश: उत्तरोतर पाँचका वर्ग अथवा २५-२५ धनुष कम होती गई है । पाश्र्वनाथको गन्धकुटी दो से विशक एक सौ पच्चीस धनुष तथा वर्षमान स्वामीकी दुगुणित पच्चीस (५०) धनुष प्रमाण थी । ८६६॥ १. ८. ब. क. ज. प. स. गंधव चओ गंषउडीए, बंडाणं न समानि जसह जि चवीस-दिल- पभव होणाणि ॥१००॥ कमसो नेमि जिवंत 1 - २. ब. क. उ. गोष्ोर ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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