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________________ २७२ ] गावा : ९८१- तिलोयपणती द्वितीय पीठका विस्तार बोसाहिय-सयकोसा, उसह-विणे विविय-पोव-विस्तारा । पंचूमा छाउनी, भजिदा कमसो ममि - पन्नत IIEI पास • जिणे पणुषीसं. अळूचं ऐसएहि मवहरिता । पंच शिवम वीरजिन, पबिहत्ता अताहिं 1८६२।। ।विनिम-पीडा समत्ता। :-ऋषभनाथ जिनेन्द्र के समवसरणमें द्वितीय पीठका विस्तार बघामबसे भाजित एक सौ बीस कोस प्रमाण वा । पश्चात् इसके आगे नेमिनाथ पर्यन्त क्रमशः पांच-पांच माग कम होते भाये। पाय जिनेन्द्रके यह विस्तार मरठ कम दोसोसे भामित एदीस कोस तपा पीर जिनेन्द्रके अड़तासीससे भाषित पाप कोस प्रमाण या ९१-८६२| । वितीय पीठोंका वर्णन समाप्त हुमा । तीसरी पौठिकानोंकी ऊंचाई एवं विस्तारतानोवार तरियाई, चोदाई विबिह-रयाण-सराई। निय-जियाब- पोचेह-समा ताम 'सन्हा IIEI १. स. स. पोलम्वेव। ... सोश, क. उ. दो, क. उन्हो ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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