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तिलोयपणती
[ गाथा : १९
uptetre :.. ARTHATANTORY जी
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सात भय निरीक्षगा
उपवण-वावि-जलेहि, सित्ता पेपछति एक-भव-जाई । तस्स लिरिक्खण-मेसे. सत्त-भवातोर-मावि-मादीओ ।।१६।
पर्य :-उपवनको वापिका के जलसे अभिषिक्त जन-समूह एक भवजाति ( चन्म ) को देखते हैं, तथा उनके ( वापीके जलमें ) निरीक्षण करने पर अतीत एवं मनागत सम्बपी सात भवजातियोंको देखने हैं ।।८१६॥