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मार्य :-- आचार्य श्री कुटिन् उत्यो महाहियारो
गांषा : ७७६-७७६ ]
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धनं :- इसके मागे पार्श्वनाथके समवसरण में प्रथम पोटकी ऊंचाई घट्टले भावित पाँच भौर वर्धमान जिनके तीन भाजित दो धनुष प्रमाण थी। मेष दो पीठोंकी ऊँचाई प्रथम पीठकी ऊँचाई भाभी थी ॥ ७७६ ।।
विदिय पीकाणं उदय-दंडा-
|२३|२३|१|१|१|१६||||||
३३
७
सदिय-पोढाणं उदय-दंडा
२४|२३|३||२१|१६१६६|||||| INRANAN
१२
पोढत्तयस्स कमसो, सोबानं बजविसासु पत्लेकं ।
अट्ट बस चड पमाणं मित्र- जानिरीह बित्यारा ॥ ७७६ ॥
अर्थ :- चारों दिशाओंोंमें से प्रत्येक दिशामें इन्द्र तोनों पीठोंकी सीढियोंका प्रमाण कमणाः
बाठ, चार और पार है । इन सीढियोंकी लम्बाई और विस्तार जिनेन्द्र ही जानते हैं। बर्थात् उसका
उपदेश नष्ट हो गया है ।।७७९ ।।
पकम-पीकाणं
५।६।८|६|६|६|६||६|६|६| ६ |६|६|६|
८।६।८१६१६||६|६||
बिदिय पीवाणं सोवाणं
४।४।४
४ | ४ | ४ | ४ YIXIYI