________________
सिलोयपणनी
[पापा : ५५४-५५७
सउरी-पुरम्मि 'जायो, सिवदेवीए समुविजएण । बाइसाह-तेरसीए, सिदाए चित्तासु मेमि-जिलो ५५४||
अर्थ :-नेमि चिनेन्द्र शोरीपुरमें पिता समुद्रविजय और माता शिवदेवीमे वंशाम-शुक्ला प्रयोदयोको चित्रा नक्षत्र में अवतीर्ण हुए ।।५५४।।
हपसेण-म्मिलाहिं', जाबो' पाणारसीए पास-निनो। पुस्सस्स बहल-एपकारसिए रिसले विसाहाए ।।५५५।।
वर्ष : पाश्र्वनाथ जिनेन्द्र वाराणसी नगरी में पिता अश्वसेन और माता बमिला (वामा) से पौष कृष्णा एकादशीको विशाखा नक्षत्रमें उत्पन्न हुए ॥५५५।।
उत्तरफागुनि-रिकले, चेत-सिब तेरसौए उम्पन्नों ॥५५६।।
प्र:-योर जिनेन्द्र कुण्डलपुर में पिसा सिद्धार्थ और माता प्रियकारिणी ( त्रिशसा ) से पंत्र-शुक्ला त्रयोदशीको उत्तराफाल्गुनी नक्षवमें उत्पन्न हुए ।।५५६॥
चौबीस तीथंडुरोंके वंशोंका निर्देम
इंदवरजा -
धम्मार-पू कुरुवंस-जावा, पाहोग्ग बसेसु' वि वीर-पासा । सो सुव्वदो गांवव-रस-अम्मा, मेमी अइपलाक-कलम्मि सेसा ॥५५७।।
पथ:-जमनाच, अरनाप और कुंथुनाष कुरुयंरामें उत्पन्न हुए। महावीर और पाश्वनाथ कमशः नाथ एवं उन वंश, मुनिसुव्रत और नेमिनाप यादव (हरि) वंशमें तथा शेष सब तीर्षकर इक्ष्वाकु कुसमें उत्पन्न हुए ॥५४४ा
१. . . त रामा। २. ६. ज.म. म्पिणाहि। ३. क. ज. प. . मादा। ४. स. ... धीरा, म. मोरा। . क. प. उ. मुभिजीपालो ।
- कामो।