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________________ [ १५३ गाथा : ५३६-५४३) चउरयो महाहियारो वाराणसिए 'पुहवी-सुपोंह सपासषो य । बेगुस्स सक्क-बारसि-विमम्मि 'जाबो बिसाहाए ।।३ अर्थ:-सुपादेव वाराणसी ( बनारस ) नगरीमें पिता मुप्रतिष्ठ और माता पपिसीसे ज्येष्ठ शुक्ला द्वादशीके दिन विशालाक्षत्रम उत्पन्न R E ETA RA चापहोचापुरे, जावो महसेण-सचिवमा आहिं । पुस्सस्स किन्ह-एयारसिए अणुराह-मक्खत्ते ।।५४०।। प:-चन्नप्रभ जिनेन्द्र पन्द्रपुरी में पिता महासेन और माता लक्ष्मीमती ( लक्ष्मणा ) से पौष कृष्णा एकादशीको अनुराधा नक्षत्र में अवतीर्ण वश ।।५४०॥ रामा सांगीहि काकंबोए य पुष्फत जिनो । ममासिर पारिवाए, सिवाए मूलम्मि संबगिदो ॥१४॥ मर्थ :-पुष्पदन्त जिनेन्द्र काकन्दोमें पिता सुग्रीव और माता रामासे मगसिर शुक्ला प्रतिपदाको मूल नक्षत्र में उत्पन्न हुए ॥५४॥ माघस्स बारसीए, पुराताबास किन्ह-पासम्मि । सीपल-सामो विवरह-मंदाहिं महिले बाबो ॥५४२॥ अय:-शोतसनाप स्वामी महलपुर ( भद्रिकापुरी ) में पिता दरय मौर माता नन्दासे माषके कृष्ण पक्षकी द्वादशीको पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में उत्पन्न हुए ॥५४२।। सिंहपुरे सेयंसो, वि-परिवेष वैकबोए । एक्कारसिए फरगुण-सिर-पाचे सवर-मे जागो ॥५३॥ वर्ष :-श्रेयांसनाथ सिंहपुरोमें पिता विष्णु नरेन्द्र और माता बेणुदेवासे फाल्गुन शुक्ला एकादशीको प्रवण नक्षत्र में उत्पन्न हुए ॥५४३।। .का.म.पंदापही। ...माहि, ।.ब. क. इ. पुडाली। २. क. ब, म.उ. मा ब.क.अ. ३. पारहि, पाकि।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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