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पापा : ५२१-५३३ ] पजत्यो महाडियारो
[ १५१ तोर्यरोंके अवतरण-स्थानसम्पायसिद्धि-ठाना, अवाला उसह-धम्म-पहुरि-तिया । विजया पंवण-अजिया, चंदप्पह बहनयंता ॥५२६॥ अपराजियाभिहाणा, अर-मि-मल्लोमो मिणाहो य । सुमई जयंत-ठाना, मारण-चुगलाय 'सुविहि-सीयलया ।।५३०॥ पुप्फोत्तराभिहाणा, अणंत-सेयंस-
बमाण-जिणा । पाविमलो य 'सहाराज्याशा कापा प. दो पासो ॥५३१॥
हेछिम-मरिझम-उरिम-वेम्जादागदा महासता । संभव-सपास-पउमा, महसुक्का' शाहपुक्न जिलों ॥५३२॥
प:-ऋषभ और धर्मादिक ( धर्म, पान्ति, कुन्य ) तोन तीथंकर सर्वार्थ सिद्धिसे भवती हुए थे; अभिनन्दन और अजितनाथ विजयसे; पन्त्रप्रम वैजयन्तसे; भर, नमि, मल्लि भोर नेमिनाथ अपराजित नामक विमानसे; सुमतिनाथ जयन्त बिमानसे : पुष्पदन्त और शीतलनाथ क्रमशः पारण युगससे; अनन्त, श्रेयांस और वर्षमाम जिनेन्द्र पुष्पोत्तर विमानमे: विमल, सतार कल्पसे; (मुनि) सुव्रत पोर पापवंनाष कमशः मानत एवं प्राणात कल्पते; सम्भव, सुपावर्य और पनाम महापुरुष क्रमशः प्रयोवेपक, मध्यवेयक पौर अध्यनवेयकसे, तथा वासुपूज्य जिनेन्द्र महाशुक्र कल्पसे अवतीर्ण हुए थे ।।५२१-५३२।। ऋषमादि बीबीस सौर्य करोंके जन्म स्थान, माता-पिता, अन्मतिथि एवं जन्मनक्षत्रों के नाम
जादो हु मवम्झाए, उसहो मरुवेषि-साभिरामहि ।
वेत्तासिय-सवमीए, परम "उत्तरासावे ।।५३३।।
मर्थ :-ऋषभनाथ तीर्थंकर अयोध्या नगरी में, मरुदेवी माता एवं नाभिराय पितासे पत्र. कृष्णा नवमीको उत्तराषाढा नक्षत्र में उत्पन्न हुए 11५३३।।
१. 4. L. ज. प. उ. मुहर। क. ज. प. उ. महसुबके।
२. द. महारापाणप, २. सहाराएदपार, स. सदामासादपासाय । ४.द.4, 6, . लिया। ५. द... क. ब... उत्तरामाका ।
३.६.