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________________ तिमी इस उपदेशको पार्क में युगले भी समय रह कर आयु क्षीण होने पर विलीन हो बातें हैं ||४७५ ॥ १३८] अभिचन्द्र नामक कुलकरका निरूपण 'अब सुरलोध गदे, अडसय कोडीहि भजिद - पल्लमि । अंतरि उप्पज्जवि अहिचंबो नाम दसम मध्यू १४७६ ॥ · अर्थ :- नवम कुलकरके स्वर्गस्थ होने पर आठ सौ करोड़से भाजित पल्यके अनन्तर अभिचन्द्र नामक दसर्या मनु उत्पन्न होता है ॥। ४७६ ।। + 14 CoooDODGRG | 4 पणुवोसाषिय छसय कोदंड पमाण देह उनकेहो । पलिबोवममेत परमाऊ ॥ ४७७१३ कोडी सहस्त भजिदा [ गाया : ४७६-४७६ काम नाम करते हैं रखते हैं और थोड़े - - ... बावनदी । - L - दं ६२५ । अर्थ :- उसके शरीरकी ऊँचाई छह सौ पच्चीस धनुष और आयु एक हजार करोड़से भाजित पत्योपम प्रमारण बी ।।४७७ ।। १ १०००००००००० | मंत्रण- समाण वच्णो देवी नामेग सिरिमदी तस्स । सो वि सिसुगं रोवण वारण हेतु कहेबि उम्र ||४७८ ॥ - अर्थ :-- उसके शरीरका वर्ण स्वर्ण सदृश था । उसके श्रीमती नामकी देवी थी। वह ( कुलकर) भी शिशुओंका रुदन रोकने हेतु उपदेश देता है ।। ४७८ ॥ रतीए ससिदिवं वरिसिय डेलावणाणि कानुनं । तान गोवर्स, सिमलावह कुनह जब मि ॥४७॥ १. ८. म. मो। २. सामाि ३ दो नमोबद
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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