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________________ १३६ ] तिलोयपासो [ गाथा : ४६७-४७० पर्व:-इस समय गमनागमनसे पोहाको प्राप्त हुए मोगभूमिज मनुष्य इस मनुके उपदेश हामी मादि घर मदारी कुरने लगे थे ! ! प्रक्षुष्मान कुलकरका निरूपणससमए नाक • गो, अर-कोडी भषिर-पल्ल-विच्छेते । 'उम्पजवि अट्टममो, बबलुम्मो कणय - बन्न - बनू ।।४६७॥ । प ८०००.... । म :-सप्तम कुलकरके स्वर्गस्प होने पर पार करोड़से माणित पल्य-प्रमाण कालके ममन्तर स्वर्ण सदृश वर्ण घाले परीरसे युक्त चक्षुम्मान नामक पाठवा कुलकर उत्पन्न होता है ।।४६७॥ तस्सुम्बेहो रंग, पगवीत • बिहीण - सप्स - संय-मेसा । बस - कोटि-- भजिवमेवक, पलियोबममार - परिमाणं ॥४६॥ । ६७५ । प १०००००००० । म:-उसके शरीरकी ऊंचाई पच्चीस कम सातसो { ६७५) मनुष और प्रायु यस करोड़से भाजित एक पल्पोपम प्रमाण पी॥४६८|| देवी पारिणि • गामा, तक्काले भोममि - झुगलान । 'संजणिवे णिप - बाल, बट्टन महाभयं होदि ॥४६९।। म :-( इस कुलकरके ) धारिणी नामको देवी थी। इसके समयमें उत्पन्न हुए अपने शाल युगलको देखकर भोगभूमिज युगलोंको महामय उपस्थित होता है ।।४६६॥ एस मणू 'भीवाणं, ता मासेवि विधमुस । "तुम्हाण सुवा एरे, पेश्कर पुग्गियु - सुगरं वदरणं ।।४७०॥ प्रन:-तब यह मनु उन मयभीत युगलोंको दिव्य उपदेषा देता है कि ये तुम्हारे पुत्र-पुत्री ई. पूर्ण चन्द्र सहप इनके सुन्दर मुख देखो ||७०11 ..... क. न. य, च. उत्पादि। २. प.क.ज.वस. सामरिणदे। ...ब.क.ब.प 1. मेदाम्। ४, ६. ब... ३. तुम्हेण, ज, प. तुम्हेन।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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