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________________ १३२ | तिलोमपणाती क्षेमंबर नामक मनुका निरूपण तम्मणुचे तिविव-गर्व, अट्ट सहस्सावहरिद - पलम्पि अंतरि उपवितुरिमो सेमघरो - 19 2000 1 अर्थ :- उस कुलकरका स्वर्गवास होनेपर माठ हजारसे भाजित पत्य- प्रमाण कालके अनार क्षेमर नामक नतुर्थ मनु उत्पन्न हुआ ||४५१ ।। · गिरी । सस्सुच्छो बंडा, सत्त सया सय कदि हिंवेषक पल्ला आत पमाणे दि एक्स्स ॥४५२ ॥ । दं ७७५ । प अर्थ :- उसके शरीरकी ऊंचाई सात सौ पचहत्तर धनुष और आयु सौ के वर्ग (१०००० } से भाजित एक पल्य प्रमाण ची ॥१४३२ ।। - - आचार्य श्री पंचहत्तरी → [ गाथा : ४५१ - ४५४ यम ||४५३ ।। t ४. ८. . क. ज. प .दो । सो कंचन-सम-दो, देवी विमला ति तस्स विसावा | तक्काले सीहावी, मूरमया संति मनूष साई ।। ४५३ ।। F :- उसका वर्ण स्वर्ण सदया था उसकी देवी 'विमका' नाम से विख्यात थी। उस समय को प्राप्त हुए सिंहादिक मनुष्योंका मांस खाने लगे ये ॥४५३ ।। क्रूरता अविभीषा भोगभूमिमा ताहे । सीहम्यमुनि भए बदिवि मणू तानं, बेदादि सुरक्स मोवाई ।।४५४॥ १. ६. ब. क. . य. उ. | २. . . . . ५.ज.ब.को 1 ६.. अर्थ :- सब सिहा विकके भय से अत्यन्त भयभीत हुए भरेमभूमिजोंको क्षेमंघर मनुनें उनसे अपनी सुरक्षा उपायभूत दण्डाविक रखने का उपदेश दिया ||४५४ || दो । ३. . अ. . . । म तांबे व क. ए. सावो ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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