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गावा; ms-ro } परत्यो महाहियारी
[ १३१ :-सन्मति नामक कुलकरके स्वर्ग बसे आने पर माठ सो से भाक्ति एक पल्य फालके पाचात् क्षेमकूर नामक तीसरा कुसकर पुरुष उत्पत्र हौ ।।४४६।।
'म-सम-बाव-सुगो, सहस्स - हरिरोषक-एल-परमाक । चामीयर - सम • बन्यो, तस्स सुनंदा महावेधी ।।४४७३
। ८००1११ ।
म :- इस कुलकरके शरीरको अंचाई आट सो ( ८०.) धनुष धो 1 आयु हजारसे भाजित एक पल्य प्रमाणं और वर्ग स्वर्ण सहश था । उसफो महादेवी भुनन्या पी 10४७॥
बग्वावि-तिरिय-गोबा, काल-बसा हर-भावमावण्णा ।
'तम्मपदो भोग - परा, सब्वे 'सच्चाउला जावा ।।४४॥ Artist :..
अ सु र और
पर्व:-उस समय कालवश व्याघ्रादिक सियंम जीवोंके कर-परिणामी होनेसे सर्व मोगभूमिज मनुष्य उनके भयसे प्रत्यन्त प्याकुस होगये थे ॥४४८।।
खेमंकर - गाम मजू, भीमा देदि विष - उवदेस'। कालास विकाराहो, एवं फरच पत्ता into ताहि विस्तातं, पापा मा करेज्ज काया वि। तासेवन 'कलुस - अषणा, जय भणिये जिम्भया जावा ॥४५॥
:-तब क्षेमकर नायक मनु उन भयभीत प्राणियोंको दिव्य उपदेश देते हैं कि कालके विकारसे ये विम्ब जीव क्रूरताको प्राप्त हुए हैं, इसलिए अब इन पापियोंका विश्वास कदापि मत करो; में विकतमुल प्राणी तुम्हें त्रास वे सकते हैं । उनके ऐसा कहने पर वे भोगभूमिज निर्भयता को प्राप्त हुए Imme-४५०॥
१. द... क. ब... सट्ट। २. द. ब. क. न. २. उ. दरमया । 1. द. साभारना। ....प. म. न. सामो। ...ब.क.क., उ. परमवार रेहि। .. .स. उपए। ....... पनि। ..ब.क.पा. स. उ. कामावि। ......... तुम।