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________________ गापा : ३७५-३७९] बउत्यो महाहियारो प:- इसप्रकार कितने हो मिण्याइष्टि मनुष्य निग्रन्मपतियोंको दानादि देकर पुष्योदय माने पर भोगभूमि में उत्पन्न होते हैं ॥३७४।। ET Ester आहोराभयमा महासह पोल्याक्मिानं ।। पत्त • पिसेसे गावून भोगममीए मायति ।।३७५।। प:-( कितने ही मनुष्य ) पात्र-विशेषों को माहारदान, अभयदान, विविध भौषधियाँ एवं जानके उपकरण स्वरूप शास्त्र आदिका दान देकर भोगभूमि में उत्पन्न होते हैं ।।३७५॥ वाचून केह दाणं, पत्त - गिसेसेस के वि वाणानं । अणुमोबण तिरिया, भोगक्सियोए वि जाति ॥३७६॥ प: कोई पात्र विनेषोंको दान देकर और कोई दानोंको अनुमोरना करनेसे नियंक भी। भोगभूमि में उत्पन्न होते हैं ॥३७६।। 'गहिर्म जिमलिंग, संजम-सम्मत्त-भाव-परिचता । मायापार - पपट्टा, पारितं गासमेति में 'पावा ॥३७७।। दाबूण लिंगोक, गाना - वाणाणि जे गरा मूठा । "सम्बेस - धरा केई, भोगमहोए हवंति ते तिरिया ॥३७१।। पर्ष:-जो पापी बिलिंग ग्रहण कर संयम एवं सम्यक्त्वको छोड़ देते हैं मोर पश्चात मायापार में प्रवृत्त होकर चारित्र को ( मी ) न कर देते है. तथा जो कोई मूर्ब मनुष्य लिगियोंको नाना प्रकारके दाम देते है या उन (कुलिंग ) भेवाको धारण करते हैं, वे भोगभूमिमें तिपंच होते हैं ॥३७७-३७८11 भोगभूमिमें गमें, जन्म एवं भरस कान तथा मरणके कारणभोगन-पर-तिरियान, गब-भास-पमाण-आर-अबससे । तागं हसि गम्मा, ए सेस - कालम्मि का या नि ॥३७६।। १. ५. व, गहिदूरण, क. ब. स. हिंदूण। २ क. उ. प. उ. पार्ष। 1. 4. गनिमीणं ।। ४. व... क. ज. प. उ. वेसकरा।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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