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________________ तिलोयपणती गाश ! २५६-२९० गंतून गोवा : माहिती बिलसिय - कमलम्पारो, रम्मो बेलिय • साल • बुसे ।।२५६।। मपं:-थोड़ी दूर चलकर सिन्धु नदीके मध्यमें विकसित कमसके आकाररूप, रमणीय और वैडूर्यमणिमम नालसे मुक्त एक उत्तम कूट ( कमल ) है ।।२५६।। तस्स बला' भइरता', बोह-जमा होति कोस-दल-मत्त । "उच्छहो सलिलाहो, जसरि - पएसम्मि इगि-कोसो' ।।२५७॥ प:-अलके उपरिम भागमें इस फूटकी ऊँचाई एक कोस है। इसके पतं मत्यन्त सास है एवं प्रत्येक पत्ता अर्ष कोस प्रमाण लम्बाईसे युक्त है ॥२५७) ने कोसा विस्मिणो, “त्तिय-मेलोबएम संपुग्णो । बियसंत - पउम - सुमोवमान - संठारख-सोहिस्सो' ॥॥ प्रपं:-( उपयुक्त ) कमलाकार कूट दो कोस विस्तीर्ण है एवं इतनी ही (दो कोस) ॐबाईसे परिपूर्ण यह कूट विकसित कमल-पुष्प सहन साकारसे शोभायमान है ।२५८॥ - इगि-कोसोदय"-इंदा, रयणमई "कपिया य अविरम्मा। तोए उरि विचिसो, पासाो होवि रमणिनो ॥२५॥ प:-उस कूटकी करिणका एक कोस ऊंची, एक कोस चौड़ी तपा रमणीय एवं रत्नमयी है । उसके ऊपर अद्भुत एवं अति रमणीय प्रासाद है ॥२५६॥ पर-रयग-कंचनमो, फुरत-किरणोष-नासिय"तमोयो । सो उसंगत्तोरण - दुगार-सुबर" - सुट्ट - सोहिल्लो ॥२६॥ १. 4. भूपौ। ३. द. ब. क. ज. स. उ. तमा। ३. ब. अ. ब. स. परिवार .कप. ए.प. बुदो। ५, ..क, ज. प. उ. हा। .... कोसा। य.प. कोस। ७. क. प. य.च. विलियो। १... अ. स. सत्तिक, म. स्थिय । १.२.प. सोहिल्ला । १..द, ब, मोसंबे, ज.म.. कोरस्म । स...ब.क. उ. कम्णिया य पौरम्मा, अ.कणयाप चौरमा, 4. कल्यमया कम्पिया मीरम्मा । १२. प. पुणातिवंत, म. स. पणासिबंसमो, प. एणाभिंत । १३. घ... मुबार, .. उ. पर, ज- मुरा।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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