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________________ गाथा : २५२-२५५ ] उत्यो महाहियारो [ ७५ :- स्तम्भोंकी ऊंचाई सेरान योजन और तीन कोस ( ९३३ यो० ) तथा इनका मन्तराल बासठ योजन और दो करेस ( ६२६ यो० ) है ।। २५१|| छत्ततयादि-सहिया, जिखिन पडिमा 'तोरनुवरिम्मि । रिया।। :- तोरण पर तीन छत्रादि ( छष, भामण्डल और सिंहासन आदि ) सहित तथा स्मरण मात्रसे ही पापोंका हरण करनेवाली जिनेन्द्र प्रतिमाएँ शाश्वतरूपमें स्थित हैं ।। २५२ ॥ बर-तोरसास उबर, पासादा होंति रवरण करणयमया । चल तोरण वेरि मुदी, मज्ज-कबाबुज्जल-बुधारा ॥२५३॥ · - :- उत्कृष्ट तोरणके ऊपर चार तोरयों एवं वेदीसे युक्त तथा वयमय कपाटोंसे उज्ज्वल द्वार वाले रत्नमय और स्वर्णमय भवन है || २५३ ।। एवेसु मंदिरेसु पाराविह · वेबोओ दिमकुमार लामाओ 1 परिवारा, अर्थ :- इन भवनोंमें नानाप्रकार के परिवारसे युक्त दिवकुमारी नामक व्यन्तरदेवियाँ बिराजमान हैं ।। २५४ ॥ - सिन्धु नदीका वर्णन - पउम 'बहाव पश्चिम-चारेवं हिस्सरेदि सिधु-रावी । सट्टा र बास-गाड़ो, तोरण-पहषी सुरखा-सरिच्छा ।। २५५ ।। १. द... प. उ.सहयो भायो । ५. ८.ब.उ. पोवोर । सवय.. च रावो । ८. हारिच्छा । तरियानी "विरावंति ।। २५४ ॥ अर्थ :- सिन्धु नदी पद्मग्रहके पश्चिम द्वारसे निकलती है. इसके स्वानके विस्तार एवं अवगाह ( गहराई ) तथा सोरण व्यादिका कथन गङ्गानदीके सहया है ।। २५५॥ २.म.न. तोरम्मि । ५.ज. प. विशति ६.५. म. पदोदरा. . . . . . . . प ७... प. उ. पहूदी सुरदि - -
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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