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लक्षण
विषय गाथा/पृ० सं० । विषय
गाथा/पृ० सं० तीसरी पृथिवी में उत्सेध की हानि-वृद्धि का ८. जन्म-मरण के अंतराल का प्रमाण प्रमाण व उत्सेध २४३-२५२ ! २२६-२३२
(गा. २८८) २४४ चौथी पृथिवी में उन्सेध की हानि-वृद्धि का ६. एक समय में जन्म-मरण करने वालों का प्रमाण प्रमाण व उत्सेध २५३-२६० १ २३२-२३४
(गा. २८६) २४५ पांचवीं पृथिवी में उत्सेध की हानि वृद्धि का | १०. नरक से निकले हुए जोवों की उत्पत्ति का
प्रमाण व उत्सेघ २६१-२६५। २३४-२३५ कथन (गा. २६०-२६३) २४५-२४६ छठी पृथिवी में उत्सेध की हानि-वृद्धि का ११. नरकायु के बन्धक परिणामों का कथन प्रमाण व उत्सेध २६६-२६६ । २३५-३६
(गा. २६४-३०२) सातवीं पृथिवी में उत्सेघ की हानि-बृद्धि का नरकायु के बन्धक परिणाम २६४ । २४६ प्रमाण व उत्सेध
२७० । २३६ अशुभ लेश्याओं का परिणाम २६५ । २४७ श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक बिलों के
प्रशुभलेश्यायुक्त जीवों के नारकियों का उत्सेध. २७१ । २३७
२९६-३०२ । २४७-२४८ ५. नारकियों के अधिशान का प्रमारण १२. नारकियों को जन्मभूमियों का वर्णन (गा. २७२) २४०
(गा. ३०३-३१३) ६. नारकियों में बीस प्ररूपणानों का निर्देश नरकों में जन्मभूमियों के
(गा. २७३-२८४) __ आकारादि ३०३-३०८ । २४८-२४६ नारकी जीवों में गुणस्थान २७४ । २४० नरकों में दुर्गन्ध
३०६ । २५० उपरितन गुणस्थानों का निषेध २७५-७६ । २४१ जन्मभूमियों का विस्तार ३१० १ २५० जीवसमास और पर्याप्तियां २७७ । २४१ जन्मभूमियों की ऊँचाई एवं आकार ३११ । २५० प्रारा और संज्ञाएं
२७८ । २४१ जन्मभूमियों के द्वारकोण एवं चौदह मार्गरगाएँ २७६-२८३ । २४१-४२ दरवाजे
३१२-१३ । २५१ उपयोग
२८४ १ २४३ १३. नरकों के दुःखों का वर्णन (गा. ३१४.३६१) ७. उत्पद्यमान जीवों को व्यवस्था
सातों पृथिवियों के दुःखों का (गा. २८५-२८७)
कथन ३१४-३४८ | ३५१-२५८ नरकों में उत्पन्न होने वाले जीवों
प्रत्येक पृथिवी के ग्राहार की का निरूपण
२८५-२८६ । २४३ गन्धशक्ति का प्रमाण ३४६ । २५६ नरकों में निरन्तर उत्पत्ति का
अमुरकुमार देवों में उत्पन्न होने प्रमाण २८७ । २४३ । के कारण
३५० । २५९