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विषय गाथा/पृ० सं० । विषय
गाथा/पृ० सं० पादि, उत्तर और गच्छ का प्रमाण ६१ । १५७ | प्रत्येक पृथिवी के प्रकीर्सक बिलों का आदि का प्रमाण
६२ । १५७ प्रमाण निकालने की गच्छ एवं चय का प्रमाण ६३ । १५८
विधि ८७-९४१ १६६-१७१ संकलित धन निकालने का
इन्द्रादिक बिलों का विस्तार ५ । १७२ विधान
६४-६५ । १५५-५६ संख्यात एवं असंख्यात योजन विस्तार समस्त पृथिवियों के इन्द्रक एवं श्रेणीबद्ध
बाले बिलों का प्रमाण ९६-१९ । १७२-७४ बिलों की संख्या ६६-६८ । १६०-६१ सर्व बिलों का तिरछे रूप में जघन्य सम्मिलित प्रमाण निकालने के लिए
एवं उत्कृष्ट अंतराल १००-१०१1१७४-१७५ आदि, चय एवं गच्छ का
प्रकीर्णक बिलों में संख्यात एवं असंख्यात् | সারা
६९-७० । १६१ योजन विस्तृत बिलों का समस्त पृथिवियों का संकलित धन
विभाग १०२-१०३ । १७५-७६ निकालने का विधान ७१-७२ । १६२ । संख्यात एवं असंख्यात योजन विस्तार समस्त पृथिवियों के इन्द्रक और
वाले नारक बिलों में नारकियों श्रेणीबद्ध बिलों की संख्या ७३ । १६२ ।
की संख्या
१०४ । १७७ श्रेणीबद्ध बिलों की संख्या निकालने
इंद्रक बिलों की हानि वृद्धि का के लिए आदि गच्छ एवं चय का
प्रमाण
१०५१०६ । १७७ निर्देश ७४-७५ । १६२-१६३
इच्छित इंद्रक के विस्तार को श्रेणीबद्ध बिलों की संख्या निकालने
प्राप्त करने का विधान १०७ १ १७८ का विधान
७६ । १६३
पहली पृथिवी के तेरह इंद्रकों का घेणीबद्ध बिलों की संख्या ७७-७६ । १६३.१६४
पृथक्-पृथक् विस्तार १०८-१२० । १७८ ८२ सब पृथिवियों के समस्त श्रेणीबद्ध
दूसरी पृथिवी के ग्यारह इंद्रकों का बिलों की संख्या निकालने के
पृथक्-पृथक् विस्तार १२१-१३१ । १८२-८५ लिए आदि, चय और गच्छ का
तीसरी पृथिवी के नव इंद्रकों का पृथक्निर्देश, विधान, संख्या ८०-८२ । १६५
पृथक् विस्तार १३२-१४० । १८५.१८८ आदि (मुख) निकालने की विधि ६३ । १६६ चौथी पृथिवी के सात इंद्रकों का पृथक्चय निकालने की विधि
पृथक् विस्तार १४१-१४७ । १८८-६० दो प्रकार से गच्छ निकालने की
पांचवीं पृथिवी के पांच इंद्रकों का पृथक्विधि
८५-८६ । १६७-६८ । पृथक् विस्तार १४८-१५२ । १६०-६१