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विषय
गाथा/पृ० सं० पार्षवचनों के अभ्यास का फल ५२ । १२ प्रमाण (गा० ५३) १२ श्रत का प्रमाण
५३ 1 १२ नाम (गा० ५४१ १३ ग्रन्थनाम कथन
५४ । १३ का (गा० ५५-८४) १३ । १८ कर्ता के भेद
५५ । १३ द्रव्यापेक्षा अर्थागम के कर्ता ५६.६४ । १३ क्षेत्रापेक्षा अर्थकर्ता पंचशैल
६६-६७ । १५ काल की अपेक्षा अर्थकर्ता एवं
धर्मतीर्थ की उत्पत्ति ६८-७० | १५ भाव की अपेक्षा अर्थकर्ता ७१-७५ । १६ गौतम गणवर द्वारा श्रुत रचना ७६-७६ । १७ कर्ता के तीन भेद
८० ११७ सूत्र को प्रमाणता
५१ । १८ नय, प्रमाण और निक्षेप के बिना
अर्थ निरीक्षण करने का फल ८२ ११८ प्रमाण एवं नयादि का लक्षण ६३ । १८ रत्नत्रय का कारण
०४ । १८ ग्रन्थ प्रतिपादन को प्रतिज्ञा ८५-८७ । १६ ग्रंथ के नव अधिकारों के नाम ८८-६० । १९ परिभाषा (गा० ६१-१३२) २०-३० लोकाकाश का लक्षण ६१-६२ । २० उपमा प्रमाण के भेद
९३ । २१ पल्य के भेद एवं उनके विषयों का निर्देश ६४-२१ स्कन्ध, देश, प्रदेश एवं परमाणु का स्वरूप
विषय
गाथा/पृ० सं० परमाणु का स्वरूप
६६-१८ 1२१ परमाणु का पुद्गलत्व
EC ! २२ परमाणु पुद्गल ही है
१०० । २२ नय-अपेक्षा परमाणु का स्वरूप १०११ २२ उबसन्नासन्न स्कन्ध का लक्षण १०२ । २३ सन्नासन से अंगुल पर्यन्त के । लक्षण
१०३-१०६ । २३ अंगुल के भेद एवं उत्सेधांगुल का लक्षण
१०७ । २३ प्रमाणांगुल का लक्षण
१०० | २४ अात्मांगुल का लक्षण
१०९ । २४ उत्सेधांगुल द्वारा माप करने योग्य वस्तुएं
११० । २४ प्रमाणांगुल से मापने योग्य पदार्थ १११ । २४ प्रात्मांगुल से मापने योग्य पदार्थ
११२-१३ । २५ पाद से कोस पर्यन्त की परिभाषायें
११४.१५ । २५ योजन का माप
११६ । २५ गोलक्षेत्र की परिधि का प्रमाण,
क्षेत्रफल एवं घनफल ११७-११८ । २५ व्यवहार पल्य के रोमों की संख्या निकालने का
विधान तथा उनका प्रमाण ११६-२४ । २६ व्यवहार पत्य का लक्षण १२५ । २८ उद्धार पल्य का प्रमाण १२६.१२७ । २८ अद्धार या अापल्य के लक्षण १२८-२६ 1 २६ व्यवहार, उद्धार एवं अद्धा सागरोपमों के लक्षण
१५० । २६