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गणितीय ग्रंथों का मुदण बस्तुतः जटिल कार्य है । अनेक तालिकायें, आकृतियां, जोड़-बाकी. गुणा-भाग तथा बटा-बटी की विशिष्ट संख्यायें आदि सभी इस ग्रंथ में हैं । प्रेस मालिक श्री पांचूलालजी धर्मनिष्ठ सुश्रावक हैं । उन्हें अनेक ग्रंथों के मुद्रण का अनुभव है। उन्होंने इस ग्रन्थ के मुद्रण में पूरी रुधि लेकर इसे बहुत ही सुन्दरतापूर्वक आपके हाथों में प्रेषित किया है । एतदर्थ वे अतिशय धन्यवाद के पात्र हैं।
वस्तुतः अपने वर्तमान रूप में तिलोयपणत्ती (प्रथम खण्ड) की जो कुछ उपलब्धि है, वह सब इन्हीं श्रमशील पुण्यात्माओं की है । मैं इन सबका अत्यन्त आभारी हूं।
सुधी गुणग्राही विद्वानों से अपनी भूलों के लिये क्षमा चाहता हूं।
इत्यलम्
वसन्त पंचमी, वि. सं. २०१० श्री पार्श्वनाथ जैन मन्दिर पास्त्री नगर जोधपुर ( राज)
विनीतचेतनप्रकाश पाटनी
सम्पादक दिनांक ७ फरवरी ८४