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गाथा : १६८-१७१ ] तदिनो महाहियारो
अर्थ :-दस हजार वर्षकी आयुवाला देव उत्कृष्ट रूपसे सौ, जघन्य रूपसे सात और मध्यम रूपसे विविध रूपोंकी विक्रिया करता है ।।१६७।।
अवसेस-सुरा सन्चे णिय-णिय-प्रोही' पमाण-खेत्ताणि ।
'जेतियमेत्ताणि पुढं पूरंति 'विकुष्यणाए एदाई ॥१६८।।
अर्थ :--अपने-अपने अवधिज्ञानके क्षेत्रोंका जितना प्रमाण है, उसने क्षेत्रोंको शेष सब देव पृथक्-पृथक् विक्रियासे पूरित करते हैं ।।१६८।।
___ आयुकी अपेक्षा गमनागमन-शक्ति संखेज्जाक जस्स य सो संखेज्जाणि जोयणागि सुरो ।
गच्छेवि एक्क-समए आमच्छदि तेत्तियाणि पि ॥१६॥ अर्थ :-जिस देवकी संख्यात वर्षकी आयु है, वह एक समय में संख्यात योजन जाता है और इतने ही योजन आता है ।।१६६।।
जस्स असंखेज्जाऊ सो वि असंखेज्ज-जोयणाणि पुढं।
गच्छेदि एक्क-समए पागच्छदि तेतियारिण पि ॥१७०।।
अर्थ :-तथा जिस देवकी प्रायु असंख्यात वर्षकी है, वह एक समय में असंख्यात योजन जाता है और इतने ही योजन प्राता है ।।१७०।।
भबनवासिनी-देवियोंकी आयु अड्ढाइज्जं पल्लं 'पाऊ देवीण होदि चमरम्म । वइरोयरगम्मि तिणि य भूदाणंदम्मि पल्ल-असो ॥११॥
प: । प ३ 1प। अर्थ :-चमरेन्द्रको देवियोंकी अायु ढाई फ्ल्योपम, वैरोचनकी देवियोंकी तीन पल्योपम और भूतानन्दकी देवियोंको प्रायु पल्योपमके आठवें भागमात्र होती है ।।१७१।। ।
१. द. ब. क.ब. छ. उहइपमारण।
२. ब. क.ज.ठ. जित्तिय ।
३. व.विउवणाए।
४.द.
ब. क. ज.
सुरा।