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गाया : १५२-१५५ ] तदिनो महाहियारो
[ ३०६ अर्थ :-चमरेन्द्रके प्रादि, मध्यम और बाह्य, इन तीन पारिषद देवोंकी प्रायुका प्रमाण क्रमशः ढाई पल्योपम, दो पल्योपम और डेढ़ पल्योपम है ।।१५१।।
तिण्णि पलिदोवमाणि अड्ढाइज्जा दुवे कमा होदि । बहरोयणस्स प्राधिम-परिसप्पहुदोण जैट्ठाऊ ॥१५२॥
प३ ! प प २ । अर्थ : वैरोचन इन्द्रके प्रादिम प्रादिक पारिषद देवोंकी उत्कृष्ट प्रायु क्रमश: तीन पल्योपम, ढाई पल्योपम और दो पल्योपम है ॥१५२॥
प्रद सोलस-बत्तीसहोंतिपलिवोवमस्त भागाणि । भुवाणंदे प्रदियो भरणाणतम्स परिस-तिर-पाऊ ॥१५३॥
प।प ।प । अर्थ :-भूतानन्दके तीनों पारिषद देवोंकी प्रायु श्रमश: पल्योपमके आठवें, सोलहवें और बत्तीसवें-भाग प्रमाण, तथा धरणानन्दके तीनों पारिषद देवोंकी आयु इससे अधिक होती है ।।१५३॥
परिसत्तय-जेट्ठाऊ तिय-दुग-एक्का य पुथ्व-कोडीयो। वेणुस्स होदि कम्सो अदिरित्ता घेणुधारिस्स ॥१५४॥
पु को ३ । पु को २ । पु को १ । प्रथं :-वेणुके तीनों पारिषद देवोंकी उत्कृष्ट प्रायु क्रमश: तीन, दो और एक पूर्व कोटि तथा वेणुधारीके तीनों पारिषदोंकी इससे अधिक है ।।१५४।।
तिप्परिसाणं आऊ तिय-दुग-एक्कानो वास-कोडीनो। सेसम्मि दखिणिदे अदिरित्तं उत्तरिदम्मि ॥१५५॥
व को ३ ।व को २ । व को १ । अर्थ :-- शेष दक्षिण-इन्द्रों के तीनों पारिषद देवोंको आयु क्रमशः तीन, दो और एक करोड़ वर्ष तथा उत्तर इन्द्रोंके तीनों पारिषद देवोंकी आयु इससे अधिक है ॥१५॥
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१. ब, क. अट्ठसोलस । अ. ठ. अट्ट सोलस ।