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गाथा : ६६.८६ ] तदियो महाहियारो
[ २८६ अर्थ :-भूतानन्दके इकहत्तर लाख, बारह हजार नाव और पृथक्-पृथक् तुरगादिक भी इतने ही होते हैं ।।८।।
ति-टाणे सुषणारिण चउक-अड'-सत्त-णव-वउक्क-कमे। सत्तारणीया मिलिदे भूदाणंदस्स णादव्या ॥६॥
४९७८४०००
अर्थ : तीन स्थानों में शुन्य चार, पाठ, सात नौ और चार इन अंकोंको त्रामशः मिलाकर भूतानन्द इन्द्रकी सात अनीकें जाननी चाहिए । अर्थात् भूतानन्दको सातों अनीके चार करोड़ सत्तानबै लाख चौरासी हजार प्रमाण हैं ।।८६।।
तेसट्ठो लक्खाइ पण्णास सहस्सयाणि पत्तेक्कं । सेसेस इदेसु पठमाणीयाण परिमाणा ॥७॥
अर्थ :- शेष सत्तरह इन्द्रों से प्रत्येकके प्रथम अनीकका प्रमाण तिरेसठ लाख पचास हजार प्रमाण है ।।७।।
'चउ-ठाणेसुसुण्णा पंच य तिढाणए चउक्काणि । अंक-कमे सेसाणं सत्ताणीयारण परिमारणं ॥८॥
४४४५००००। अर्थ :-चार स्थानों में शून्य, पाँच और तीन स्थानोंमें चार इस अंक कभसे यह शेष इन्द्रोंमेंसे प्रत्येकको सात अनीकोंका प्रमारण होता है ।।८।।
होंति पयण्णय-पहुदी जेत्तियमेत्ता य सयल-इ देसु ।
तप्परिमाण-परूवण"-उपएसो पत्थि काल-वसा ॥६॥ । अर्थ :---सम्पूर्ण इन्द्रोंमें जितने प्रकीर्णक प्रादिक देव हैं, कालके वशसे उनके प्रमाण के प्ररूपणका उपदेश नहीं है ।।८।।
१. ब. अटुसत्त । २. द. सत्तारणीमा। ३.२. चवट्ठाणेसु। ४. द. ब. क. ज. छ. सत्ताणीयाणि । ५. दै.ब, गरूणा।