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गाथा : ६९-७३ ] तदिनो महाहियारो
[ २८३ अर्थ :-वे आभियोग्य जाति के देव दास सदृश तथा किल्बिषिक देव चण्डालको उपमाको धारण करने वाले हैं । इसप्रकार देवोंके इन्द्रका परिवार जानना चाहिए ॥६॥
इंद-समा पडिइंदा तेत्तीस-सुरा हवंति तेत्तीसं ।
चमरादी-इंदाणं पुह पुह सामाणिया इमे देवा ॥६६॥ अर्थ :-प्रतीन्द्र, इन्द्र प्रमाण और त्रास्त्रिश देव तेतीस होते हैं। चमर-वैरोचनादि इन्द्रोंके सामानिक देवोंका प्रमाण पृथक्-पृथक् इसप्रकार है ॥६६।।
चउसट्ठि सहस्साणि सट्ठी छप्पण्ण चमर-तिदयम्मि । पण्णास सहस्साणि पत्तेक्कं होति सेसेसु ॥७०॥
६४००० । ६०००० । ५६००० । सेसे १७ । ५०००० अर्थ :-चमरादिक तीन इन्द्रोंके सामानिक देव क्रमशः चौंसठ हजार, साठ हजार और छप्पन हजार होते हैं, इसके प्रागे शेष सत्तरह इन्द्रोंमेंसे प्रत्येकके पचास हजार प्रमाण सामानिक देव होते हैं ।।७।।
पत्तेक्क-इंदयाणं सोमो यम-वरुण-धरणद-गामा य । पुवादि-लोयपाला 'हवंति चत्तारि चत्तारि ॥७१॥
मर्थ :-प्रत्येक इन्द्र के पूर्वादिक दिशानोंके ( रक्षक ) क्रमश: सोम, यम, वरुण एवं धनद ( कुधेर ) नामक चार-चार लोकपाल होते हैं ।।७१।।
छप्पण्ण-सहस्साहिय-बे-लक्खा होति चमर-तणुरक्खा । चालीस-सहस्साहिय-लक्ख-दुगं बिदिय-इंदम्मि ॥७२॥
२५६००० ! २४०००० । चउवीस-सहस्साहिय-लक्ख-बुगं तदिय-इंव-तणुरक्खा । सेसेसुपत्तेक्कं णादच्या दोषिण लक्खाणि ॥७३॥
२२४००० । सेसे १७ । २००००० ।
१. द. हुवंति। २. ब तदियतरण ।