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गाथा : २४०-२५१
विदुप्रो महाहियारो अर्थ : मेघा पृथिवीके तापन इन्द्रकमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध नब्बे हाथ ( २२ धनुष २ हाथ) और तीनसे भाजित बीस अंगुल प्रमाण है । २४७।।
सत्ताणउदी हत्था सोलस पश्वाणि तिय-विहत्तारिए । उदो विदाहणामा-पडले गैरइय जीवाणं ॥२४॥
है ५७ अं ।
अर्थ : -निदाघ नामक पटलमें नारकी जोवोंके शरीरकी ऊँचाई सत्तानबै (२४ दण्ड १) 'हाथ और तीनसे भाजित सोलह-अंगुल प्रमाण है ।।२४८।।
छन्वीसं चावाणि चत्तारी अंगुलाणि मेघाए । पज्जलिय नाम-पडो टिनाणजी-रक्षा उच्चोहो १४६॥
ध २६, अं ४ । अर्थ : मेघा पृथिवीके प्रज्वलित नामक पटलमें स्थित जीवोंके शरीरका उत्सेध छब्बीस धनुष और चार अंगुल प्रमाण है 11२४९।।
सत्तावीसं वंडा तिय-हत्था अट्ट अंगुलाणि च । तिय-भजिदाई उदयो 'उज्जलिदे णारयाण णायन्यो ॥२५०॥
अर्थ :-उज्वलित इन्द्रकमें नारकियोंके शरीरका उत्सेष सत्ताईस धनुष, तीन हाथ और तीनसे भाजित आठ अंगुल प्रमाण है ॥२५०।।
एक्कोणतीस दंडा दो हत्या अंगुलाणि चत्तारि । तिय-जिदाई उदो 'संजलिदे तदिय-पुढथीए ॥२५१॥
ध २६, हे २, अं
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१. द.उज्जलिदो।
२.ब.क, एकोणतीस ।
३. संजलि-सविय ।