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तिलोयपात्ती
[ गाथा : २४४-२४७ अर्थ : मेघा पृथिवीमें एक धनुष, दो हाथ, २२ अंगुल और तीनसे भाजित एक अंगुलके दो-भाग-प्रमाण हानि-वृद्धि जाननी चाहिए ।।२४३।।
तीसरी पृथिवीमें पटल क्रमसे नारकियोंके शरीरका उत्सेध सत्तरसं चावाणि चोत्तीसं अंगुलाणि दो भागा। तिय भजिदा मेघाए उवनो तत्तिदम्मि जीवाणं ॥२४४॥
ध १७, अं३४ भा । अर्थ :-मेघा पृथिवीके तप्त इन्द्रकमें जीवोंके शरीरका उत्सेध सत्तरह धनुष, चौंतीस अंगुल ( १ हाथ, १० अंगुल ) और तीनसे भाजित अंगुलके दो-भाग-प्रमाण है ॥२४४।।
एक्कोणवीस दंडा अट्ठावीसंगुलाणि 'तिहिदाणि । तसिदिदयम्मि तदियक्खोरणीए णारयाण उच्छेहो ॥२४५॥
ध १९, अंः । अर्थ :-तीसरी पृथिवीके असित इन्द्रकमें नारकियोंका उत्सेध उन्नीस धनुष और तीनसे भाजित अट्ठाईस (९3) अंगुल प्रमाण है ।।२४५।।
वीसए सिखासयाणि असीदिमेत्तारिग अंगुलाणि च । "तविय-पुढवीए तणि दयम्मि णारइय उच्छेहो ॥२४६॥
दं २० । अं८०। अर्थ :-तीसरी पृथिवीके तपन इन्द्रक बिलमें नारकियोंके शरीरका उत्सेध बोस धनुष अस्सी (३ हाथ ८) अंगुल प्रमाण है ॥२४६।।
णउदि-पमारणा हत्था 'तिदय-विहत्तारिण वीस पथ्याणि । मेघाए तावणिवय-ठिदाण जीवाण उच्छेहो ॥२४७॥
है ६०, अं !
१. द. क. 8. तिहिदाणं । २. द. ब, कं. . तदियं चम पुढचौए। ३, द. तीयविहत्थाणि, क, तीद विहत्याणि, ठ. तीदी विहत्यारिण, व. तदिविहत्ताणि । ४. द. ब. क. उ. तवरिण दय ।