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गाथा : १९२-१६४ ] विदुनो महाहियारो
[ २११ विशेषार्थ :-(२८००० - २००० -- २६०००)- (xxx) 4-2 = (१६०० – R'x'=३२४५१ योजन या ३२४८ योजन ५५०० दण्ड मेघा पृथिवीमें प्रकीर्णक बिलोंका अन्तराल है।
चउसट्टि छस्सयाणि सि-सहस्सा जोयणाणि तुरिमाए । उणहत्तरी-सहस्सा पण-सय-दंडा य गब-भजिदा ॥१६२।।
३६६: । ४ । । अर्थ :-चौथी पृथिवीमें प्रकीर्णक बिलोंका अन्तराल तीन हजार, छहसौ चौंसठ योजन और नौ से भाजित उनहत्तर हजार, पाँच सौ धनुष प्रमाण है ॥१६२।। . . विशेषार्थ :-( २४००० - २००० =२२०००)-(३.x x .) = ( २१९०० – २४५)xt=३६६४३ योजन या ३६६४ योजन ५०० दण्ड अञ्जना पृथिवीमें प्रकीर्णक बिलोंका अन्तराल है।
सत्ताणउदी-जोयण-चउदाल-सयाणि पंचम-खिदीए । पण-सय-जुद-छ-सहस्सा दंडेण पइण्णयाण विच्चालं ॥१९३॥
४४६७ । दंड ६५०० अर्थ:-पांचवीं पृथिवी में प्रकीर्णक बिलोंका अन्तराल चार हजार चारसौ सत्तानबै योजन और छह हजार पाँचसौ धनुष प्रमाण है ।।१६३॥
विशेषार्थ :--( २०००. .- २००० - १८०००) -- (* x x3) + 5 = (१०० -- x-४४६७३१ योजन या ४४६७ योजन ६५०० दण्ड अरिष्टा पृथिवीमें प्रकीर्णक बिलोंका अर्ध्व अन्तराल है ।
छण्णउदि णव-सयापि छ-सहस्सा जोयणारिण मघवोए । पणहत्तरि सय-दंडा उड्ढेण पइण्णयाण विच्चालं ॥१६४॥
।। ६६६६ 1 दंड ७५०० ॥ प्रथं : मघवी नामक छठी पृथिवीमें प्रकीर्णक बिलोंका ऊर्ध्व अन्तराल छह हजार नौ सौ छयानब योजन और पचहत्तर सौ धनुष प्रमाण है ।।१६४||