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गाथा : १५६ ]
प्रो हामिले
[ १६३ सातवीं पृथिवीके अवधिस्थान इन्द्रकका विस्तार वासो जोयरण-लक्खो 'अयहि-छारणस्स सत्तम-खिवीए । जिपवर-वयरण-विरिणग्गद-तिलोयपण्णसि-णामाए ॥१५६॥
१०००००।
अर्थ :- सातवीं पृथिवीमें अवधिस्थान नामक इन्द्रकका विस्तार एक लाख योजन प्रमाण है, इसप्रकार जिनेन्द्रदेवके बचनोंसे उपदिष्ट त्रिलोक-प्रज्ञप्तिमें इन्द्रक बिलोंका विस्तार कहा गया है ॥१५६॥
विशेषाय :-१६१६६६ - ६.१६६६३ = १००००० योजन विस्तार सप्तम नरक में अवधिस्थान नामक इन्द्रक बिलका है।
1 चार्ट पृष्ठ १९४ पर देखिये ।
१. द. अत्रदिठाररास्स ।