________________
१७० !
तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : ६०-६२ मर्थ :-द्वितीय पृथिवीमें चौबीस लाख सतानब हजार तीनसौ पाँच प्रकीर्णक बिल । हैं ॥९॥
शिवार्थ : -- 'दूसरो चियाम कुल बिल २५८०००० हैं, इनमें से ११ इन्द्रक और २६८४ श्रेणीबद्ध बिल घटा देनेपर शेष २४९७३०५ प्रकीर्णक बिल हैं।
'चोद्दस-लक्खाणि तहा अढाणउदी-सहस्स-पंच-सया । पण्णदसेहिं जुत्ता पइण्गया तदिय-वसुहाए ||६०॥
१४६८५१५ । अर्थ :---तीसरी पृथिवीमें चौदह लाख, अट्ठानचे हजार पाँचसौ पन्द्रह प्रकीर्णक बिल हैं ।।१०।।
विशेषाय :-तीसरी पृथिवीमें कुल बिल १५००००० हैं, इनमेंसे इन्द्रक बिल और १४७६ श्रेणीबद्ध बिल घटा देनेपर शेष १४६८५१५ प्रकीर्णक बिल प्राप्त होते हैं ।
णव-लक्खा णवणउदी-सहस्सया दो-सयाणि 'तेणउदी। तुरियाए वसुमइए पइण्णयाणं च परिमाणं ॥१॥
१६६२६३ । पर्य :-चतुर्थ पृथिवीमें प्रकीर्णक बिलोंका प्रमाण नौ लाख, निन्यानबे हजार दोसौ तेरानब है ।।६१
विशेषार्थ : चतुर्थ पृथिवी में कुल बिल १०००००० हैं, इनमेंसे ७ इन्द्रक और ७०० श्रेणीबद्ध बिल घटा देनेपर शेष प्रकीर्णक बिलोंकी संख्या ६९६२६३ प्राप्त होती है।
दो लक्खाणि सहस्सा 'णवरखउदी सग-सयाणि पणतीसं । पंचम-वसुधायाए पइण्णया होंति णियमेणं ॥२॥
२६६७३५ । अर्थ :-पाँचवीं पृथिवीमें नियमसे दो लाख, निन्यानबे हजार सातसौ पैंतीस प्रकीर्णक बिल हैं ॥१२॥
विशेषार्थ :--पाँचवीं पृथिवीमें कुल बिल ३००००० हैं, इनमेंसे ५ इन्द्रक और २६० श्रेणीबद्ध बिल घटा देनेपर शेष प्रकीर्णक बिलोंकी संख्या २,६६,७३५ प्राप्त होती है।
१. द. चोहसयं जारिण, ब. नोट्सएं जाणि । ठ. चोदसए झारिण ! म. चोइसए जापि । २. क. तेणवदी। ३. ६. रणउणउदी ।