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तिलोयपण्पत्ती
[ गाथा : २६७-२६८
दूष्य क्षेत्रका धनफल एवं गिरि-कटकक्षेत्र कहने की प्रतिज्ञा घोदस-भजिदो तिउणो विवफल बाहिरोभय-भुजाणं । लोप्रो दुगुणो चोद्दस-हिदो य अन्तरम्भि दूसस्स ॥२६॥
तस्स य जव-खेत्ताणं लोगो चोद्दस-हिवो-दु-विदफलं । एत्तो 'गिरिगड-खंडं वोच्छामो प्राणुपुवीए ॥२६॥
अर्थ :-दूष्यक्षेत्रको बाहरी उभय भुजाओंका घनफल चौदहसे भाजित और तीनसे गुणित लोकप्रमाण ; तथा अभ्यन्तर दोनों भुजाओंका घनफल चौदहसे भाजित और दोसे गुणित लोकप्रमाण है ।।२६७॥
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१. द. ब. ज.क. 8. गिरिविडखे।