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तिलगामाती
| गाथा : २३८
रा
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राजू
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२. प्रायतचतुरस्र अर्थात् ऊर्धायत अधोलोकका घनफल :
असता अर्थात् लम्बे और चौकोर क्षेत्रके धनफलको कर्दायत धनफल कहते हैं । सामान्य अधोलोककी चौड़ाईके मध्यमें म और ब नामके दो खण्ड कर ब खण्डके समीप अ खण्डको उल्टा रख देनेसे पायत चतुरस्रक्षेत्र बन जाता है । यथा
-रम
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अ
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-७राज
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-जराण
घनफल-इस प्रायतचतुरन ( ऊयित ) क्षेत्रको भुजा, श्रेणी प्रमाण अर्थात् ७ राजू, कोटि ४ राजू और वेध ७ राजू है, अत: ७४४x७-१९६ धनराजू प्रायतचतुरस्र अधोलोकका घनफल है।