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* श्री वीतरागाय नमः
श्री-यतिवृषभाचार्य-विरचिता तिलोय-पण्णत्ती
( त्रिलोकप्रज्ञप्तिः)
( जैन-लोकमान-सिद्धान्तविषयक-प्राचीन प्राकृतग्रन्थ ) प्राचीन कानडी प्रतियों के आधार पर प्रथम बार सम्पादित
[प्रथम खण्ड]
टीकाकी : आर्यिका १०५ श्री विशुद्धमती माताजी
मम्पादक: डॉ० चेतनप्रकाश पाटनी ___ प्राध्यापक, हिन्दी विभाग जोधपुर विश्वविद्यालय, जोधपुर
प्रकाशक
प्रकाशन विभाग, श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा