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नश्रम अध्याय प्रश्न – बकुश और प्रतिसेवनाकुशीलके कृष्ण,नील और जापान ये तीन लेश्याएँ केस होती हैं?
उत्तर--पुलाकक उपकरणों में आसक्ति होनस और प्रतिसंचनाकुशीलके उत्तरगुणी मं त्रिराधना होने के कारण कभी आध्यान हो सकता है । अतः आर्तभ्यान होनेसे आदिकी नोन लेश्याओंका होना भी संभव है। पुलाकक आतध्यानका कोई कारण न होनेसे अन्नकी तीन लेश्याएँ ही होती हैं। कषायकुशीलके अन्तको चार लेश्याएँ ही होती हैं। कपायकशीलके संचलन कषायका उदय हानेस कापोत लेश्या होती है। निमंन्ध और स्नातकके केवल शुक्ल लश्या ही होती हैं । अयोगबली के लेश्या नहीं होती है।
उत्कृष्ट ले, पुलाकका अठारह सागर की स्थितिवशले. सहस्रार स्वर्गके देवीमें उत्पाद होता है । वकुश और प्रतिसेवनाकशीलका बाईस सागर की स्थितिवाल आर और अच्युत स्वर्ग के देवों में उत्पाद होता है। कषायकुशील और निग्रन्थोंका तेंतीस सागरकी स्थितिवाल, सर्वार्थसिद्धिके देवों में उत्पाद. हाता है। सबका जघन्य उपपाद दा सागरका स्थितिवाले सौधर्म और ऐशान स्वर्ग के देवों में होता है। स्नातकका उपपाद मोक्षमें होता है।
___ कपायके निमिससे होने वाले संयम स्थान असंख्यात है। पुलाक और कषायकुशीलके सर्वजघन्य असंख्यात संथम स्थान होते हैं। वे दोनों एक साथ असंख्यात स्थानों तक जाते हैं, बादमें पुलाक साथ छोड़ देता है, इसके बाद कषायकुशील अकेला ही असंख्यात स्थानों तक जाता है। पुनः ।
शोल, प्रतिसेवनाक
र बकुश
श्री सुविधासागर ज एक साथ असंख्यात स्थानों तक जाते है। बाद में बकुश साथ छोड़ देता है।
और असंघात स्थान जाने के बाद प्रति सबनाकुशोल भी साथ छोड़ देता है । पुनः असंख्यात स्थान जानेके बाद कषायकुदाल को भी निवृत्ति हो जाती है। इसके बाद निर्यन्य असंख्यात अकषायनिमित्तक संयम स्थानों तक जाता है और बाद में उसकी भी निवृत्ति हो जाती है । इसके अनन्तर एक संयम स्थान तक जानेक बाद स्नातकको निर्वाण की प्राप्ति हो जाती है । स्नातक की संयमलनिध अनन्तगुण होती है।
"मागदर्शक:-.
अपाय
महाराज
नवम अध्याय समाप्त