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________________ ४१३ ४१३०-३१ ] चतुर्थ अध्याय मार्गदर्शक :- आचार्य श्री सुविधिसागर जी महाराज पटलमै ८६६६६६६६ करोड़ पल्य और ६६६६६६६ पल्यकी आयु है। चौदहवें पटल में ९३३३३३३३ करोड़ पल्य और ३३३३३३३५ पल्यकी आयु है । पन्द्रहवें पटल में एक सागरकी आयु है । सोलहवें पटल में एक सागर, ६६६६६६६ करोड़ पल्य और ६६६६६६६६ पयकी आयु है। सत्रहवें पटल में एक सागर, १३३३३३३३ करोड़ पल्य और ३३३३३३३५ पल्यकी आयु है । अठारहवें पटलमें बारह कोड़ाकोड़ी पल्यकी आयु हैं । उन्नीस पटल १२६६६६६६६ करोड़ पल्य और ६६६६६६६ पल्यकी आयु है। बीसवें पटलमें १३३३३३३३३ करोड़ पल्य और ३३३३३३३३ पल्यकी आयु है । इक्कीसवें पटल चौre arrest पल्यकी आयु है । बाईसवें पटल १४६६६६६६६ करोड़ पल्य और ६६६६६६६१ पल्यकी आयु है। तेईसर्वे पटल में १५३३३३३३३ करोड़ पल्य और ३३३३३३१३ पल्यकी आयु है। चौबीसवें पटल में सोलह कोड़ाकोड़ी पल्यकी आयु है । पश्चीसवें पटल में १६६६६६६६६ करोड़ पल्य और ६६ ६६६६ पल्यकी आयु है । छब्बीसवें पटल में १७३३३३३३३ करोड़ पल्य और ३३३३३३३३ पल्यको आयु है । सत्ताईसवें पटल में अठारह कोड़ाकोड़ी पकी आयु है । अट्ठाईस पटल में १८६६६६६६६ करोड़ पल्य और६६६६६६६ पल्यकी आयु है । उनतीसवें पटल में १९३३३३३३३ करोड़ पल्य और ३३३३३३३३ पल्यकी आयु है। तोसवें पटल में बोस कोड़ाकोड़ी पल्यकी आयु है । और इकतीसवें पटल में कुछ अधिक दो सागरकी आयु है । I सानत्कुमार माहेन्द्रयोः सप्त ।। ३० । सानकुमार और माहेन्द्र स्वर्ग में देवोंकी आयु कुछ अधिक सात सागर है। प्रथम पटल २ सागर, द्वितीय पटल में ३ सागर, तीसरे पटल ४३ सागर, चौथ पटल में 3 सागर, पाँचवें पटल में ५, छठवें पटल में ६ और सातवें पटल में कुछ अधिक सात सागरकी 'आयु है । त्रिसन वैकादशत्रयोदशपञ्चदशभिरधिकानि तु ॥ ३१ ॥ ब्रह्म और ब्रह्मोत्तर स्वर्ग में दश सागर से कुछ अधिक, लान्तव और कापिष्ट स्वर्ग में चौदह सागर से कुछ अधिक, शुक्र और महाशुक्र में सोलह सागरसे कुछ अधिक, शतार और सहस्रार में अठारह सागर से कुछ अधिक, आनत और प्राणत में बीस सगर और आरण और अच्युतमें बाईस सागरकी उत्कृष्ट आयु है। इस सूत्र में 'तु' शब्द यह बतलाता है कि पूर्वसूत्रके 'अधिके' शब्दकी अनुवृत्ति सहस्रार स्वर्ग पर्यन्त हो होती है। अतः आगे के स्वर्गों में आयु सागरों से कुछ अधिक नहीं है । ब्रह्म और ब्रह्मोत्तर स्वर्गके प्रथम पटल में पड़े सागर, द्वितीय पटल में ८३ सागर, तीसरे पटल में ९ सागर और चौथे पटल में दश सागर से कुछ अधिक आयु है । लान्तव और कापिष्ट स्वर्गके प्रथम पटल में बारह सागर और दूसरे पटल में कुछ अधिक चौदह सागरकी आयु है। शुक्र और महाशुक्र में एक ही पटल है । शतार और सहस्रार में भी एक ही पटल है । आनत, प्राणत, आरण और अच्युत स्वर्गमें छह पटल है। प्रथम पटल में सागरके तीसरे भागसे कुछ अधिक कम उन्नीस सागर की आयु है। दूसरे पदलमें बीस सागर, तीसरे पटल में २० सागर, चौथे पटल में इक्कीस सागर, पाँचवें पटल में २१ सागर और छटवें पटल में बाईस सागरकी आयु है ।
SR No.090502
Book TitleTattvarthvrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinmati Mata
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages648
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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