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________________ तत्वार्थवृत्ति हिन्दी-सार [४१९६-२, विजय श्रादि विमानवासी देवोंकी संसारकी अवधि विजयादिषु द्विचरमाः ॥ २६ ।। विजय, मार्गदर्शक जयन्सौर्य प्रारविवाशमानताबी हालिन्द्र मनुष्य के दो भव धारणकर नियमसे मोक्ष चले जाते हैं । यहाँ मनुष्यभवकी अपेक्षासे इनको द्विचरम कहा है। कोई भी अहमिन्द्र विजयादिसे च्युत होकर मनुष्यगति में आयगा. पुनः वह मनुष्यभव समाप्त कर विजयादिमें ही उत्पन्न होगा। फिर विजयादिसे फ्युत होकर मनुष्यभव धारणकर नियमम मोक्ष चला जायगा, इस प्रकार मनुष्यभवकी अपेक्षा दो भव और मनुष्यभवमें देव पर्यायको भी मिला देनेसे दो मनुष्यभव और एक देवभव इस प्रकार विजय आदिमें उत्पन्न होनेवाले अहमिन्द्रोंके तीन भत्र और बाकी रह जाते हैं। लेकिन सर्वार्थसिद्धि के अहमिन्द्र एकमवायतारी होते हैं। वे मनुष्यका एक भव धारण करके ही मोक्ष चले जाते हैं। तिर्यवांका वर्णनऔपयादिकमनुष्येभ्यः शेषास्तिर्यग्योनयः ॥ २७ ॥ उपपाद जन्मवाले देव और नारकी तथा मनुष्योंको छोड़कर शेष समस्त संसारी जीव तिर्यश्च हैं । तिर्यश्च सम्पूर्ण लोकमें व्याप्त है। भवनवासी देवोंकी उत्कृष्ट आयुस्थितिरसुरनागसुपर्णद्वीपशेषाणां सागरोपमत्रिपल्योपमार्द्धहीनमिताः ॥२८॥ भवनवासी देवों में असुरकुमार, नागकुमार, सुपर्णकुमार, दीपकुमार और शेपके छह कुमारोंकी उत्कृष्ट आयु क्रमसे एक सागर,तीन पल्य,अढ़ाई पल्य,दो पल्य और डेढ़ पन्य है । चैमानिक देवोंकी उत्कृष्ट आयु सौधर्मशानयोः सागरोपमे अधिके ॥ २९ ॥ ___ सौधर्म और ऐशान स्वर्गके देवोंकी उत्कृष्ठ आयु कुछ अधिक दो सागर है । 'अधिक' इस शब्दकी अनुवृत्ति सहस्रार स्वर्ग पर्यन्त होती है। इसलिये सहस्रार तकके देवोंकी आयु कथित सागरोसे कुछ अधिक होती है । सौधर्म और ऐशान स्वर्गक पदलोंमें आयुका वर्णन-प्रथम पटलमें ६६६६६६६ करोड़ पल्य और इतने ही पल्य तथा पल्यके तीन विभागों से दो भाग उत्कृष्ट आयु है। दूसरे पटल में १३३३३३३३ करोड़ पल्य तथा ३३३३३३३ पल्य और पल्यक तीन भागोंमें से एक भाग आयु है। तीसरे पटलमें दो कोडाकोड़ी पल्यकी आयु है। चौथे पटलमें २६६६६६६६ करोड़ पल्य तथा ६६६६६६६ पल्य और पल्यके तीन भागों में से दो भाग प्रमाण आयु है । पाँचवें पटलमें ३३३३३३३३ करोड़ पत्य तथा ३३३३३३३ पल्य और पत्यके तीन भागों में से एक भाग प्रमाण आयु है। छवे पटलमें चार कोडाकोड़ी पल्यकी आयु है। सातवें पटलमें ४६६६६६६६ करोड़ पल्य तथा ६६६६६६६ पल्य और पल्यके तीन भागोंमें से दो भाग प्रमाण आयु है । आठवें पटलमें ५३३३३३३३ करोद पत्य और ३३३३३३३७ पल्यकी श्रायु है । नौवें पटलमं छह कोड़ाकोड़ी पल्यकी आयु है। दसवे पटलमें ६६६६६६६६ करोड़ पल्य और ६६६६६६६३ पल्यकी आयु है । म्यारहवे पटल में ७३३३३३३३ करोड़ पल्य और ३३३३३३३३ पल्यकी आयु है । बारहवें पटलमै आठ कोडाकोड़ी पल्यकी आयु है । तेरहवें
SR No.090502
Book TitleTattvarthvrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinmati Mata
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages648
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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