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तस्वार्थश्लोक वातिकालंकारे
जिनके निमित्तकारण क्रोध, मान, आदि हैं उन आस्रवों का ध्वंस करने वाले उत्तमक्षमा, मार्दव, आदि धर्म हैं यह निर्णीत कर दिया गया है ( व्याप्ति) इस कारण उन क्षमादि स्वरूप हो रहा धर्म उन क्रोध आदि को निमित्त पाकर आने वाले आस्रव का प्रध्वंस करने वाला कहा जाता है । वह धर्म अनुकूल योग्यता अनुसार एकदेश से संवर करने
हेतु हो जायगा । यह सिद्धान्त भी संशयरहित ही हैं । संयम से रहित और सम्यग्दर्शन से सहित ऐसे असंयत सम्यग्दृष्टि नामक चौथे गुणस्थान तथा पांचवें आदिक गुणस्थानों में वह संवर भले प्रकार संभवता है ।
उसी को स्पष्ट कर ग्रंथकार यों दिखलाते हैं कि मोक्षोपयोगी सब से प्रथम चौथे गुणस्थान में अनंतानुबंधी क्रोध आदि का उदय नहीं है । अत: असंयत सम्यग्दृष्टि अवस्था में अनन्तानुबन्धी क्रोध आदि के प्रतिपक्षभूत क्षमा, मार्दव, आदिक तो भले प्रकार हो ही रहे हैं। तथा त्रसवध का त्यागी होने से संयत, और स्थावर वध का त्यागी न होने से असंयत, ऐसे संयतासंयत नामक पांचवें गुणस्थान में अनन्तानुबंधी चौकडी और अप्रत्याख्यानावरण क्रोध आदि चौकडी के विपक्ष हो रहे उत्तम क्षमादिक विद्यमान हैं । प्रमत्तसंयत नामक छठे गुणस्थान को आदि लेकर सूक्ष्मसांपराय नामक दशमे पर्यन्त पांच गुणस्थानों में फिर अनन्तानुबंधी, अप्रत्य ख्यानावरण, प्रत्याख्यानावरण इन बारहों कषायों के शत्रुभूत प्रतिबंधी क्षमादिक भाव जग रहे हैं ।
अप्रत्या
ग्यारहवें उपशांतकषाय आदि गुणस्थानों में अनन्तानुबंधी, ख्यानावरण, प्रत्याख्यानावरण, संज्वलन इन सब के क्रोध आदि के सपत्न यानी शत्रुभूत क्षमादि गुण भले प्रकार संगत हो रहे हैं। कोई विरोध करने वाला नहीं है । जिस प्रकार क्रोध, मान, माया लोभ के प्रतिपक्ष हो रहे क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच धर्मों का गुणस्थानों में सद्भाव है, उसी प्रकार असंयम, अतप, आदि के प्रतिपक्षी हो रहे संयम, तप, आदि धर्म भी छठे प्रमत्तसंयत सातमे अप्रमत्तसंयत आदि गुणस्थानों में यथायोग्य संभव रहे समझ लेने चाहिये तथा वे उत्तमक्षमा आदिक और संयम आदिक दशों धर्म अपने अपने प्रतिपक्ष हो रहे क्रोध आदि को हेतु मान कर होने वाले आस्रव के निरोध का कारण हो जाने से देशसंवर के हेतु हो जायेंगे, यही कारिका में कहा गया हैं ।
अथानुप्रेक्षाप्रतिपादनार्थमाह
धर्मों का निरूपण करने के अनन्तर सूत्रकार महाराज अब अनुक्रमप्राप्त अनुप्रेक्षाओं की प्रतिपत्ति कराने के लिये अग्रिमसूत्र का उच्चारण कर रहे हैं ।