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श्लोक-वार्तिक आगम के आश्रित है ? अथवा क्या उक्त सिद्धान्त को पुष्ट करने के लिये कोई युक्ति भी है ? यदि है। तो वह किस प्रकार है ऐसी जिज्ञासा प्रवर्तने पर ग्रन्थकार अग्रिम वार्तिकों को प्रस्तुत करते हैं ।
तथा चारित्रमोहस्य कषायोदयतो नृणां । । स्यात्तीव्रपरिणामो यः ससमागमकारणं ॥१॥ यः कषायोदयात्तीवः परिणामः स ढौकयेत् । चारित्रघातिनं भावं कामोद्र को यथा यतेः ॥२॥ कस्यचित्तादृशस्यायं विवादापन्नविग्रहः ।
तस्मात्तथेति निर्बाधमनुमानं प्रवर्तते ॥३॥ जिस प्रकार जीव के केवलि आदि का अवर्णवाद कर देने से दर्शन मोह का आस्रव होता है
र कषायों के उदय से हआ जो तीव्रता को लिये हये अभिमान, मायाचार आदि परिणाम हैं वह जीवों के चारित्र मोहनीय कर्म के समागम का कारण हैं । ( प्रतिज्ञावाक्य ) जो-जो कषायों के उदय से तीव्र परिणाम होगा वह चारित्र गुण का घात करने वाले पदार्थ का आगमन करावेगा जिस प्रकार कि पहिले संयमी पुनः हो गये भ्रष्ट किसी-किसी असंयमी पुरुष के कामवेदना का तीव्र उदय हो जाना चारित्रघातक स्त्री, बाल आदि के साथ रमण करने के भाव का आस्रावक है (अन्वयव्याप्ति पूर्वक दृष्टान्त)। तिस प्रकार के कषायोदय हेतुक तीव्र परिणाम का धारी यह संसारी जीव विवाद में प्राप्त हो चुके शरीर को धार रहा है (उपनय) । तिस कारण वह कषायवान् आत्मा तिस प्रकार चारित्रघातक कर्म का आस्रव हेतु हो जाता है (निगमन) । इस प्रकार बाधा रहित यह अनुमान प्रवर्त रहा है जो कि सूत्रोक्त आगम वाक्य का समर्थक है।
कषायोदयात्तीव्रपरिणामो विवादापन्नश्चारित्रमोहहेतुपुद्गलसमागमकारणं जीवस्य कषायोदयहेतुकतीव्रपरिणामत्वात् कस्यचिद्यतेः कामोद्रेकवत् । न साध्यसाधनविकलो दृष्टान्तः, कामोद्रेके चारित्रमोहहेतुयोषिदादिपुद्गलसमागमकारणत्वेन व्याप्तस्य कषायोदयहेतुकतीव्रपरिणामत्वस्य सुप्रसिद्धत्वात् ॥
उक्त अनुमान को यों स्पष्ट कर लीजिये कि वादी प्रतिवादियों के विवाद में प्राप्त हो चुका जो कषाय के उदय से तीव्र परिणाम होना है । ( पक्ष ) वह जीव के चारित्र गुण के मोहने में हेतु होरहे पुद्गलों के समागम का कारण है । ( साध्यदल ) पूर्व में संचित किये गये कषाय आत्मक द्रव्य कर्मों के
दय को हेतु मान कर हुये भावकमें स्वरूप तीव्रपरिणाम होने से ( हेतु ) चारित्र भ्रष्ट होगये किसी यति के काम वासना के प्रबल उद्वेग समान ( अन्वय दृष्टान्त )। यह रति क्रिया के तीव्र उद्रेक का दृष्टान्त जो इस अनुमान में अन्वयदृष्टान्त दिया गया है । वह साध्य और साधन से रीता नहीं है क्योंकि काम का तीव्र उद्वेग होने पर चारित्रगुण के मोहने में हेतु हो रहे स्त्री, मद्यपान, आदि पुद्गलों के समागम के कारणपने करके व्याप्त हो रहे कषायोदय हेतुक, तीव्रपरिणामोंपने की लोक में अच्छी प्रसिद्धि होरही है। समीचीन व्याप्ति से हुआ अनुमान ठीक उतरेगा ।