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तत्त्वार्यश्लोकवार्तिके
कता नहीं है । यदि सांख्य यों कहें कि विशेषरूपसे कई बार हंगनेका हरडके साथ अन्वयव्यतिरेक बन रहा है, अपना इष्टदेवता तो रेचन करानेमें उपयोगी नहीं है । क्योंकि उस देवताके साथ उस रेचनक्रियाका अन्वयव्यतिरेक इस ढंगसे नहीं बनता है कि हमें देवताके होनेपर मल निकल जाता है, और हरडमें देवताके न होनेपर रेचन नहीं होता है। अब आचार्य कहते हैं कि इस प्रकार अन्वयव्यतिरेकका अनुविधान नहीं करना तो प्रकरणप्राप्त हेतुमें भी समानरूपसे विद्यमान है । अर्थात् वीतपन आदिके होनेपर हेतुका गमकपना और वीतपन आदिके नहीं होनेपर हेतुका नहीं गमकपना यह अन्वयव्यतिरेक नहीं बनता है । हां, अन्यथानुपपत्तिके साथ अन्वयव्यतिरेक बन जाता है । अन्यथानुपपत्तिकी सत्तासे हेतुका गमकपना प्रयुक्त किया गया है। और अन्यथानुपपत्तिकी असत्तासे हेतुका अगमकपना प्रयोजन रखता है । इस प्रकार हेतुके वीत आदि तीन अवयवोंसे कुछ प्रयोजन नहीं निकला तथा हेतुके लक्षण और भेदोंके मनगढन्त स्वरूपोंसे कुछ लाम नहीं है । क्योंकि वे सभी प्रकारोंसे हेतुके गमकपनेके प्रयोजक अंग नहीं हैं। तथा यह भी बात है कि उन पूर्ववत् आदि या वीत आदि भेदोंमें सम्पूर्ण हेतुओंके भेदोंका समावेश भी नहीं हो पाता है।
कारणात्कार्यविज्ञानं कार्यात्कारणवेदनम्। अकार्यकारणाचापि दृष्टात्सामान्यतो गतिः ॥ २०५॥ तादृशी त्रितयेनापि नियतेन प्रयोजनम् । किमेकलक्षणाध्यासादन्यस्याप्यनिवारणात् ॥ २०६ ॥
पूर्ववत् आदिका ही व्याख्यान कोई इस प्रकार करते हैं अथवा स्वतंत्ररूपसे कार्य, कारण, अकार्यकारण ये तीन हेतुके भेद न्यारे माने गये हैं । तिनमें कारणसे कार्यका विज्ञान होना, जैसे कि छत्रसे छायाको जान लेना १ और कार्यसे कारणका ज्ञान करना, जैसे धुयेंसे आगको पहिचानना २ तथा कार्यकारणभावसे रहित किसी पदार्थसे नियत हो रहे, दूसरे कार्यकारण भिन्न पदार्थकी ज्ञप्ति हो जाना, जैसे कि कृत्तिकोदयसे मुहूर्त पीछे होनेवाले रोहिणीके उदयको जान लेना ३। ये भी सामान्यसे देखे हुये पदार्थोद्वारा तिसप्रकार अन्य पदार्थोकी ज्ञप्ति है। यहां भी इन तीनोंसे कोई प्रयोजन नहीं निकलता है। हां, यदि अन्यथानुपपत्तिरूप नियमसे नियत हो रहे उक्त तीन हेतुओंसे साध्यकी ज्ञप्ति होना इष्ट करोगे, तब तो एक अन्यथानुपपत्तिरूप लक्षणके अधिष्ठित हो जानेसे ही हेतुका गमकपना निर्णीत हुआ। दूसरा लाम यह भी है कि अन्य हेतुओंका भी संग्रह हो जाता है । अनुपलब्धि, उत्तरचर, आदि हेतुओंका निवारण नहीं किया जा सकता है।