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तत्वार्थचिन्तामणिः
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सत्यामप्यबाधितविषयतायां सत्यामप्यसत्प्रतिपक्षतायां च हेतौ न रूपांतरत्व मन्यथानुपपन्नत्वादित्याह ;
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जिस हेतुके साध्यका कोई बाधक प्रमाण नहीं है, इस प्रकारकी अबाधित विषयता के होनेपर भी और जिस हेतुके साध्यका अभावको साधनेके लिये दूसरा प्रतिपक्षी हेतु नहीं है, ऐसी असत्प्रतिपक्षता के होते हुये भी हेतुमें अन्यथानुपपत्तिसे अतिरिक्त कोई दूसरारूप कार्यकारी नहीं है । इस बातका स्वयं वार्तिककारं स्पष्ट निरूपण करते हैं ।
अबाधितार्थता च स्यान्नान्या तस्मादसंशया ।
न वासत्प्रतिपक्षत्वं तदभावेन भीक्षणात् ॥ ९९२ ॥
उस अन्यथानुपपत्तिसे भिन्न कोई अबाधितविषयता नहीं हो सकती है। संशयरहित होकर अविनाभाव अबाधितविषयरूप है । और उस अन्यथानुपपत्तिके अतिरिक्त असत्प्रतिपक्षपना भी कोई न्यारा रूप नहीं है । क्योंकि उस अन्यथानुपपत्तिके अभाव होनेपर अबाधितविषयपना अथवा असत्प्रतिपक्षपना (कुछ भी मूल्यका ) नहीं देखा जा रहा है।
न हि कचिद्धेतौ साध्याभावासं भूष्णुतापायेप्यबाधितविषयत्वमसत्प्रतिपक्षत्वं समीक्ष्यते येन ततो रूपांतरत्वं ।
किसी भी हेतु साध्यका अभाव होनेपर हेतुका नहीं सम्भवनारूप स्वभाव के अभाव होने पर भी अबाधितविषयपना और असत्प्रतिपक्षपना नहीं देखा जाता है। जिससे कि उस अविनाभावसे उन चौथे, पांचवें, अबाधितपन और सत्प्रतिपक्षरहितपनको हेतुका न्यारा रूप माना जाय । अर्थात् वे दोनों हेतुके न्यारे रूप नहीं हैं।
ननु च यथा स्पर्शाभावे कचिदसंभववतोपि रूपस्य स्पर्शाद्रूपांतरत्वं तथाविनाभावाभावे कचिदसंभवतोपि ततो रूपांतरत्वमबाधितविषयत्वस्यासत्प्रतिपक्षत्वस्य च न विरुज्यतेऽन्यथा स्पर्शाद्रूपस्यापि रूपांतरत्वविरोधादिति चेत् नैतत्सारं, अन्यथानुपपन्नत्वादबाधितविषयत्वादेरभेदात् । साध्याभावप्रकारेणोपपत्तेरभावो धन्यथानुपपत्तिः स एव वावाधितविषयत्वमसत्प्रतिपक्षत्वं च प्रतीयते न ततोऽन्यत् किंचिचैवं स्पर्शाद्रूपस्याभेदः प्रतीतिभेदाचतो विषमोऽयमुपन्यासः ।
यहां शंका है कि जिस प्रकार स्पर्शके नहीं होनेपर कहीं भी नहीं सम्भव होनेवाले भी रूपका जैसे स्पर्शसे भिन्न स्वरूपपना है, यानी स्पर्श न्यारा गुण है, और पुद्गलमें रूप न्यारा गुण है, आंखोंके नहीं होनेपर किसी भी जीवके कान नहीं होते हैं, फिर भी आखोंसे कान न्यारे हैं, तिसी प्रकार अविनाभाव के अभाव होनेपर कहीं भी नहीं सम्भव रहे भी अबाधित विषयत्व और असत्प्रतिपक्षपनको उस अविनाभावसे न्यारा रूपपना नहीं विरुद्ध हो रहा है । अन्यथा यानी