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वार्थचिन्तामणिः
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का कस्य प्रकार: स्यादित्युच्यते
सूत्रकार द्वारा कंठोक्त कहे गये मति, स्मृति, आदिकोंमेंसे किसके कौनसे मेधा आदिक प्रकार होंगे ! ऐसी जिज्ञासा होनेपर ग्रन्थकार द्वारा समाधान कहा जाता है। ..
बुद्धिमतेः प्रकारः स्यादर्थग्रहणशक्तिका । मेधा स्मृतेः तथा शद्वस्मृतिशक्तिर्मनस्विनाम् ॥ ५॥ ऊहापोहात्मिका प्रज्ञा चिंतायाः प्रतिभोपमा।। सादृश्योपाधिके भावे सादृश्ये तद्विशेषणे ॥६॥ प्रवर्त्तमाना केषांचिद् दृष्टा सादृश्यसंविदः। अनी संज्ञायाः संभवाद्यस्तु लैंगिकस्य तथा गतः ॥ ७ ॥
अर्थको भले ढंगसे पकडने की शक्तिको रखनेवाली बुद्धि तो मतिका प्रकार है । और स्मृतिका प्रकार उत्तम धारण रखनेवाली मेधा है। यह मेधा किन्हीं किन्हीं मनस्वीजीवोंके शद्वोंकी स्मरणशक्तिरूप उत्पन्न होती है । तथा तर्क, वितर्क, स्वरूप प्रज्ञा तो चिंताज्ञानका प्रकार है। एवं प्रतिभाज्ञान भी तर्कज्ञानका प्रकार है । सादृश्य विशेषणसे युक्त पदार्थमें अथवा -उस पदार्थके विशेषण हो रहे सादृश्यमें किन्हीं जीवोंके प्रत रहा उपमानज्ञान देखा जाता है । सो यह सादृश्यको जाननेवाले संज्ञाज्ञानका प्रकार है । तथा सम्भव, अर्थापत्ति, अभाव आदिक तो लिङ्गजन्य अनुमानज्ञानके भेदप्रभेद हैं । क्योंक प्रामाणिकोंके यहां तिस प्रकार समीचीन प्रतीति हो रही है। १४. मतिसामान्यात्मिकापि : बुद्धिरिंद्रियानिन्द्रियनिमित्ता सनिकृष्टार्थग्रहणशक्तिकावग्रहादिमतिविशेषस्य प्रकारः । यथोक्त शवस्मरणशक्तिका तु मेघा स्मृतेः। सा हि केषांचिदेव मनखिमां जायमाना विशिष्टा च स्मरणसामान्यात् ।
मतिज्ञान सामान्यस्वरूप भी बुद्धि जो कि इन्द्रिय और अनिन्द्रियके निमित्तसे उत्पन्न हुई है। तया समवधानको प्राप्त हुये अर्थोके ग्रहण करनेकी शक्तिसे विशिष्ट है, वह बुद्धि तो अवग्रह, ईहा, आदि विशेष मतिज्ञानोंका प्रकार है। जैसे खंड, मुंड, कपिल, आदिक भेद गौके प्रकार हैं, तथा वैसेके वैसे ही कहे हुये शब्दोंका और उनके वाच्य अर्थोका ठीक ठीक स्मरणशक्ति रखनेकी किसे युक्त मेधा सो स्मरणज्ञानका प्रकार है, जैसे कि बढिया चावलोंका प्रकार वासुमती है । वह (मेधा ) किन्हीं किन्हीं महामना जीवोंके उत्पन्न हो रही अन्य, सामान्य स्मरणोंसे विशिष्ट होती ई मेधा कही जाती है।
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