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तत्त्वार्थचिन्तामणिः
क्रमादपकृष्यमाणतज्जननशक्तिकविपर्ययादुत्पन्नतज्जननानिरहितोऽपि यतनवानकाले मिथ्याभिनिवेशात्मकदोषोत्पचिस्ततोप्यधर्मादित्यचेतेति केचित्संप्रतिपनाः।
मूसमें उत्पन्न हुआ विपर्यय ज्ञान ही झूठे अमिनिवेश, राग, पाप, आदिके उत्पन्न करानेकी शक्तिको धारण करता हुआ मिथ्या ४४ करना, रागद्वेष करना रूप दोषोंको उत्पन्न कराता है और वह दोष अधर्मको पैदा करता है। अधर्म जन्मको और वह जन्म लेना तो अनेक दुःख स्वरूप संसारको पैदा करा देता है। किन्तु शक्तिहीन होरहा अन्तका विपर्ययज्ञान फिर दोष आदिककी घाराको नहीं चलाता है। क्योंकि कमसे कमती कमी हो रही है उन दोष आदिकको जन्म करानकी शक्ति जिनकी, ऐसे विपर्ययज्ञानोंसे कुछ धाराके पश्चात् अन्तम ऐसा विपर्यय भी पैदा होता है कि उन दोष विपर्ययज्ञानको उत्पन्न करनेकी शक्तिसे सर्वथा रहित है। अर्थात् जैसे कि हम गोली या रेला फेंकते हैं अथवा कुलाल चाकको घुसाता है । यहां वेगके द्वारा फिकना और धूमनारूप क्रियाओंकी धारा चलती है । किन्तु अंसका वेग क्रियाको. पैदा नहीं करता है। वहींपर डेल गिरजाना है और चाक धमजाता है । अतः सिद्ध होता है कि अंतका विपर्यय पुनः धाराको चलानेकी शक्तियोंसे रहित है । अतः पुनः दोष आदिको घारा तत्त्वज्ञानीक नहीं चलेगी। जिससे कि आप जैनलोग तत्वज्ञान के समयमें भी झूठे मामहरूप दोषोंकी उत्पत्ति और उससे भी अधर्म तथा उस अर्मसे जन्म आदि उत्पन्न होंगे, इस प्रकारका आपादन कर सके । ऐसा समझकर कोई नैयायिक विश्वास कर बैठे हैं । अब आचार्य कहते है कि:
तेषां प्रसिद्ध एवायं भवहेतुस्त्रयात्मकः । शक्तित्रयात्मतापाये भवहेतुत्वहानितः ॥ १०२ ॥
उन नैयायिकोंके यहां तो यह बड़ी अच्छी तरह प्रमाणोंसे सिद्ध हो गया कि संसारका कारण भी मिथ्यादर्शन आदि तीनरूप ही है। तीन सामर्थ्य स्वरूपपना न मानने पर तो अकेले विपर्ययमें संसारके कारणपनेकी हानि हो जावेगी।
य एवं विपर्ययो मिथ्याभिनिवेशरागायत्पादनशक्तिः स एव मवहेतुर्नान्य इति वदतां प्रसिद्धो मिथ्यादर्शनशानचारित्रात्मको भवतुर्मिथ्याभिनिवेशभरेव मिथ्यादर्शनस्वान्मिध्यार्थग्रहणस्य स्वयं विपर्ययस्य मिथ्याज्ञानस्वाद्रागादिप्रादुर्भवनसामर्थ्यस्व मिथ्याचारित्रत्वात् ।
जो ही विपर्यास ज्ञान झंठा आग्रह, रागभाव, आदिकोंके उत्पन्न करानेकी शक्तिको रखता है, वही मिख्याज्ञान संसारका कारण है । दूसरा अंतमें होनेवाला मिस्याज्ञान तो संसारका कारण नहीं है । इस प्रकार कहनेकाले नैयायिक, वैशेषिकोंके मतमें भी यह प्रमाणसे सिद्ध हो चुका कि