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तत्त्वार्थचिन्तामणिः
परस्परम प्राप्त है। यदि नैयायिक सयबायका लक्षण पृथक् पृथक् न रहना रूप अविष्वाभाव करने वह भी अर्थ के साथ कथञ्चित् तदारमकपने के अतिरिक्त कोई अन्य संबंध नहीं है। जैनोंके तादाम्यसंबंघका ही दूसरा नाम अविश्वग्भार रख लिया गया है ।
लौकिको देशभेदो युतसिद्धिर्न शास्त्रीयो यतः समवायिना युतसिद्धिः स्यादित्ये तस्मिन्नपि पक्षे रूपादीनामेकत्र द्रव्ये विभूनां च समस्ताना लौकिकदेशभेदाभावाद्युतसिद्धेरभावप्रसंगात् समवायप्रसक्तिः।
शास्त्रमे लिखे हुए लक्षणके अनुसार भिन्न भिन्न देशमें रहनेको युतसिद्धि हम नहीं मानते हैं। शास्त्र की युतसिद्धि तो समवायियों में भी घट जाती है। किंतु साधारण बाल गोपाल भी कुण्डी, बेर या माम, पिटारी आदि में आधार और आधेयोंका देशभेद समझ लेते हैं। ऐसे लोकप्रसिद्ध देशभेद वाले पदार्थों की हम युतसिद्धि मानते हैं । शास्त्र के अनुसार भिन्न देशपना मानते होते तब तो समबाय वाले रूप, रूपवान् आदिकोंकी भी युतसिद्धि बन बैठती, इस प्रकार इस नैयायिकके पक्षमे मी रूप, रस, आदिकोंकी एक द्रव्यम तथा सम्पूर्ण व्यापक द्रव्योंकी साधारण लोक द्वारा माने गये देशभेदके न होनेसे युतसिद्धिके तो अभावका प्रसंग हो जावेगा। किंतु अयुतसिद्धि हो जानेसे रूप, रस आदिकोंका या विभु द्रव्योंका परस्परम समवाय सम्बंध होजाना चाहिये, जो कि प्रसन्न नैयायिकोंको इष्ट नहीं है।
अविष्वग्भवनमेवायुतसिद्धिर्षिष्वग्भवनं युतसिद्धिरिति चेत् , तत्समवायिनां कथ श्चित्तादात्म्यमेव सिद्धं ततः परस्याविष्वम्भवनस्यामतीवेः ।
दो सम्बंधियोंके पृथक् पृथक् न होनेको ही अयुतसिद्धि कहते हैं और भिन्न भिन्न हो जानेको युतसिद्धि कहते हैं । जैसे कि अमिसे उष्णता या घटसे रूप न्यारे नहीं किये जासकते हैं, इस कारण इनका समवाय है और पुरुषसे दण्ड या कुण्डसे घेर अलग किये जासकते हैं। अतः इनमें संयोगका कारण युतसिद्धि है । यदि नैयायिक ऐसा कहेगे तब तो उन समवायी पदार्थाका कथश्चित् तादात्म्य सम्बंध ही सिद्ध हुआ, उस तादात्म्य सम्बंधसे अतिरिक्त अविश्वाभाव पदार्थ कोई न्यारा प्रसीत नहीं हो रहा है। अन्घसर्पबिलप्रवेश न्यायसे आपको स्याद्वादसिद्धांतकी ही शरण लेनी पड़ेगी।
तदेवाबाधितज्ञानमारूढं शक्तितद्वतोः ।
सर्वथा भेदमाहन्ति प्रतिद्रव्यमनेकधा ॥ २१ ॥
गुण, गुणी, आदिकोंका वह कश्चित् तादात्म्य सम्बंध होना ही बाधाओंसे रहित होरहे ज्ञानमें आरूढ हो रहा है। वह शक्ति और शक्तिमानके नैयायिकोंसे माने गये सर्वथा भेदवादको