SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वस्वार्थसार २१८ २१८-२२० २२२-२२४ २२५-२३३ २३४-२३७ २३८ वैमानिक देवोंके दो भेद देवोंमें इन्द्र आदि भेदोंका वर्णन देवोंमें कामसुखका वर्णन भवनत्रिकदेवोंका निवास कहाँ है? वैमानिकदेवोंके निवासका वर्णन जीवोंके भेद श्रीवतत्वको श्रद्धा आदिसे मोक्षकी प्राप्तिका वर्णन तृतीय अधिकार मङ्गलाचरण और प्रतिज्ञावाक्य पांच अजीयोंके नाम छह द्रव्योंका निरूपण पश्चास्तिकायका वर्णन द्रश्यका लक्षण उत्पादका लक्षण व्ययका लक्षण नौव्यका लक्षण गुण और पर्यायका लक्षण गुण और पर्याय के पर्यायवाचक शब्द गुण और द्रव्यमें अभेद है द्रव्य और पर्यायकी अभिन्नता पर्याय ही उत्पाद-व्ययके झरनेवाले है द्रव्योंकी नित्यताका वर्णन द्रव्योंके अवस्थितपनेका वर्णन वयोंके रूपी और अरूपोपनेका वर्णन द्रव्योंकी संख्याका वर्णन द्रव्योंमें सक्रिय और निष्क्रियपनेका विभाग द्रव्यों के प्रदेशोका वर्णन द्रव्योंके अवगाहका वर्णन द्रव्यों के उपकारका वर्णन धर्मवष्यका लक्षण अधर्मद्रव्यका लक्षण आकाशद्रक्ष्यका लक्षण १९-२१ २२-२९ ३५ ३६ ३७-३८
SR No.090494
Book TitleTattvarthsar
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorPannalal Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy