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________________ १३४ १३५ १३६ १३७-१३८ १३९ १४०-१४२ १४३ १४५ १४६-१४७ १४८-१५२ १६२-१६८ १६९-१७५ १७६ विषयानुक्रमणिका तिर्यश्च और मनुष्योंकी जघन्य आयुका सामान्य वर्णन अपमृत्यु किमकी नहीं होती? नरकोंमें शरीरकी ऊंचाईका वर्णन मनुष्यों के शरीरकी ऊँचाईका वर्णन मन्तर, ज्योतिष्क और भवनबासीदेवोंकी ऊँचाईका वर्णन वैमानिकदेवोंकी ऊँचाईका वर्णन एकेन्द्रियादि तिमंचोंकी उत्कृष्ट अवगाहना एकेन्द्रियादिक जीवोंकी जयन्य अवगाहना कौन जीव नरकोंमें कहाँ तक जाते है ? भरकोंसे निकले हुए जीव क्या होते है ? किसका जन्म कहा होता है ? देवोंमें कौन उत्पन्न होते हैं ? देवगतिसे आकर जीव क्या क्या होते है ? लोकका वर्णन लोकके भेद,और आक्रार लोकका विभाग अबोलोकका वर्णन पृथिवियोंमें बिलोंकी संख्या नरकोंके दुःस्त्रोंका वर्णन मध्यलोकका वर्णन जम्बूद्वीपके सात क्षेत्रोंके नाम जम्बूद्वीपके कुलाचलोंका वर्णन कुलाचलोंपर स्थित सरोवरोंका वर्णन चौदह महानदियोंका वर्णन क्षेत्र तथा पर्वतोंके विस्तारका वर्णन कालचक्रका परिवर्तन कहाँ होता है ? धातकोखण्ड और पुष्करद्वीपका वर्णन मनुष्योंके भेद देवलोकका वर्णन, देवोंके पार निकाय देवोंके अवान्तर भेद यस प्रकारके भवनवासी देव आठ प्रकार के व्यन्तर देव ज्योतिष्क देवोंके पांच भेद १७९-१८१ १८२-१८३ १८४-१८६ १८७-१९२ १९४-१९६ १९७-२०१ २०२-२०५ २०६-२०७ २०८ २०९-२११ २१२ २१५ २१६ २१७
SR No.090494
Book TitleTattvarthsar
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorPannalal Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size5 MB
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