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________________ तत्त्वार्थसार ७२-७३ ७९-८१ वनस्पतिकायिक जीवोंके भेद योगका लक्षण योगके पन्द्रह भेद मनोयोगके चार भेद वञ्चनयोगके चार भेद काययोगके सात भेद औदारिकादिशरीरोंको सूक्ष्मता और प्रदेशों का वर्णम तेजस और कार्मण शरीरको विशेषता लब्यिप्रत्यय तेजस और वैक्रियिकशरीरका वर्णन औदारिक और वैक्रियिक शरीरके जन्मका वर्णन आहारफशरीरका लक्षण वेदमार्गणाका वर्णन कषायमार्गणाका वर्णन ज्ञानमार्गणाका वर्णन संयममार्गणाका वर्णन दर्शनमार्गणाका वर्णन लेण्यामागंणाका वर्णन भव्यत्वमार्गणाका वर्णन सम्यक्त्वमार्गणाका वर्णन संशोमार्गणाका वर्णन आहारमार्गणाका वर्णन माहारक कौन होते हैं ? विग्रगतिका लक्षण और उसकी विशेषता जन्मके भेद और उनके स्वामी नौ योनियों तथा उनके स्वामियोंका वर्णन चौरासीलाख्न योनियोंका विवरण कुलकोदियोंका विवरणा तिर्यञ्चों तथा मनुष्योंकी उत्कृष्ट आयुका वर्णन नारकियोंकी उत्कृष्ट और जघन्य आयुका वर्णन भवनवासोदेवोंको उत्कृष्ट तथा जघन्य आमु ध्यन्तरदेवोंकी उत्कृष्ठ तथा जघन्य आयु ज्योतिष्कदेवोंकी उत्कृष्ट तथा जघन्य आयु वैमानिकदेवोंकी उत्कृष्ट और जघन्य आयु ८४-८५ ८६-८७ ८८-८९ ९६-१०२ १०३-१०४ १०५-१०१ ११०-१११ ११२-११६ ११७-१२२ १२३-१२५ १२६ १२७ १२८ १२९-१३३
SR No.090494
Book TitleTattvarthsar
Original Sutra AuthorAmrutchandracharya
AuthorPannalal Jain
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages285
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size5 MB
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