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________________ ( २९ ) विषय पृष्ठ ४२९ ४३१ ४३२ ४३३ ४३४ ३४ ४३५ अचौर्याणुव्रत के अतिचार ब्रह्मचर्याणुव्रत के अतिचार परिग्रह प्रमाण अणुव्रत के अतिचार दिग्वत के अतिचार देशवत के अतिचार अनर्थदण्ड व्रत के अतिचार सामायिक व्रत के अतिचार प्रोषधोपवास व्रत के अतिचार भोगोपभोग परिमाण व्रत के अतिचार .... अतिथिसंविभाग व्रत के अतिचार सल्लेखना के अतिचार दान का लक्षण दान में विशेषता ग्यारह प्रतिमाएं mmm ४३७ ४३८ ४३९ ४४० ३८ ४४३ ४४४/४४८ प्राठवां अध्याय ४४९ ४५० ४५१ ४५३/४५४ २ ४५६ बंध के हेतु तीनसो त्रेसठ मिथ्यामत अविरति के बारह भेद गुणस्थानों में बंध हेतु पुद्गल कर्म स्कन्ध का ग्रहण बंध है बंध के प्रकृति बंध आदि भेद मूल प्रकृति पाठ हैं उत्तर प्रकृति बंध के भेद ज्ञानावरण कर्म के भेद दर्शनावरण कर्म के भेद वेदनीय कर्म के दो भेद मोहनीय कर्म के भेद कषायों का वासनाकाल ४६२ * ॥ 60 x < "" ४६४ ४६५ ४६७ . ४७० ४७० . ४७५ ८ ९ ।
SR No.090492
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorBhaskarnandi
AuthorJinmati Mata
PublisherPanchulal Jain
Publication Year
Total Pages628
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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